पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बाढ़ पीड़ितों के लिए धन जुटाने की घोषणा करते हुए हकीकी आजादी के लिए अपने आह्वान को दोहराया। पीटीआई प्रमुख ने फैसलाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह अगले रविवार को सिंध में बाढ़ पीड़ितों के लिए ‘अरबों का धन’ जुटाने के लिए एक कार्यक्रम करेंगे। जिसमें भारी तादात में देश के युवा शामिल हो।
‘नई सरकार आने के बाद से देश में बढ़ी बेरोजगारी’
इमरान खान ने कहा कि पीटीआई सरकार के पिछले दो वर्षों के दौरान रिकॉर्ड फसल उत्पादन देखा गया था। उन्होंने कहा कि अब स्थिति बदल गई है. क्योंकि एक विदेशी साजिश के तहत देश में लाई गई सरकार के आने के बाद से लोग बेरोजगारी और ईधन की कीमतों में वृद्धि देख रहे हैं। उन्होंने शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को लताड़ा और दोहराया कि उन्होंने चार महीनों में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ, उनके भाई नवाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी कथित तौर पर विदेशों में सार्वजनिक धन के शोधन में शामिल थे।
शरीफ और जरदारी परिवार ने देश के खजाने को लूटा- इमरान
इमरान खान ने यह भी आरोप लगाया कि शरीफ और जरदारी के परिवार पिछले 30 सालों से राष्ट्रीय खजाने को लूट रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्ट लोग देश का पैसा चुराते हैं और बाहर भेजते हैं। उन्होंने कहा कि देश को बाढ़ से बचाने के लिए बांध बनाने होंगे। उन्होंने घोषणा की है कि मैं जल्द ही अगले रविवार को बाढ़ पीड़ितों के लिए अरबों रुपये की धन राशि जमा करने की अपील करूंगा।
‘नए चुनाव से देश में राजनीतिक अस्थिरता खत्म होगी’
साथ ही इमरान खान ने दोहराया कि नए चुनावों से ही देश में राजनीतिक अस्थिरता खत्म होगी। उन्होंने युवाओं से देश में वास्तविक स्वतंत्रता प्राप्त करने के उनके आह्वान के लिए तैयार रहने को कहा। इमरान खान ने इससे पहले 27 अगस्त को देश के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए एक कोष की स्थापना की घोषणा की थी। उन्होंने 29 अगस्त को बाढ़ पीड़ितों के लिए अरबों रुपये का फंड इकट्ठा करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टेलीथॉन का आयोजन किया था।
हकीकी आजादी के लिए लड़ाई जारी रहेगी- इमरान खान
पूर्व पीएम इमरान ने कहा था कि राष्ट्र आपदा से एक साथ मिलकर ही निपट जा सकता है। उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि हकीकी आज़ादी के लिए उनकी लड़ाई नहीं रुकेगी, क्योंकि यह उनके लिए राजनीतिक अभियान नहीं था बल्कि वास्तविक स्वतंत्रता का संघर्ष था। इस बीच पाकिस्तान में बेमौसम बारिश और बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। विनाशकारी बाढ़ के परिणामस्वरूप देश में लगभग 1,300 लोग मारे गए हैं।