नई दिल्ली । आंतकियों के पनाहगाहर के रूप में विख्यात पाकिस्तान की अब अंतरराष्ट्रीय मंचों में इस मुद्दे को लेकर भारी फजीहत हो रही है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, आतंकवाद की फंडिग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था द फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीफ) ने पाकिस्तान को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें यह साबित करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है कि उसने आतंकी संगठन जमात-उत-दावा और जैश-ए-मोहम्मद तथा उनके सहयोगी आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद देने वाले रास्तों को बंद कर दिया है।
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पाकिस्तान के लिए यह चेतावनी निश्चित तौर पर मुश्किलें पैदा कर सकती है। पिछले हफ्ते पेरिस में एफएटीएफ का एक सम्मेलन हुआ था जिसमें अधिकतर देशों का विचार था कि पाकिस्तान को मिलने वाली अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय मदद पर रोक लगनी चाहिए। इस सम्मेलन में पाकिस्तान को 90 दिन का समय मांगने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा।
जनवरी के आखिरी सप्ताह में में जमात-उत-दावा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ की गई कार्रवाई अपनी कार्रवाई का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने यह जताने की कोशिश की कि वह कार्रवाई को लेकर वाकई में गंभीर है। इसी कार्रवाई का ही नतीजा है कि पिछले महीने 31 जनवरी को जमात-उत-दावा के सरगना हाफिज सईद को उसके घर में नजरबंद कर दिया गया था।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को इस तरह की कार्रवाई करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। इससे पहले अक्टूबर में हुई एफएटीएफ की बैठक के दौरान पाकिस्तान के उन दावों को खारिज कर दिया गया था जिसमें उसने कहा गया था कि उसने इन आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचाने पर कड़ी कार्रवाई की है।
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एफएटीएफ के इस कदम से बौखलाए पाकिस्तान ने इसका आधिकारिक तौर पर कूटनीतिक के जरिए तुरंत विरोध भी जताया था लेकिन उसकी कोशिशों परवान नहीं चढ़ सकीं थी। कई यूरोपीय देशों ने इस बात के सबत दिए थे कि किस तरह पाकिस्तान आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद कर रहा है।