मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा और फलाह-ए-इनसाइनेट फाउंडेशन से जुड़े तैराकी अकादमी, ट्रक का एक बेड़ा, स्कूल-अस्पताल और एंबुलेंस सेवाओं को अपने कब्जे में ले लिया है. पाकिस्तान की ओर से अभी तक यह साफ नहीं हो सका है इन योजनाओं का क्या होगा। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार इसे अपने कब्जे में लेकर चला सकता है।
अमेरिका और यूरोपियन देशों के फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान पर पैनी नजर बनाई हुई है। एफएटीएफ उन देशों की फाइनेंशियल गतिविधियों पर नजर बनाता है, जिन पर आतंकवाद को सपोर्ट करने का आरोप लगता है।
दरअसल, एफएटीएफ ने अपनी ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को भी शामिल किया था। आतंकवाद के सपोर्ट को लेकर बनाए जाने वाली लिस्ट में पाकिस्तान को 2012 में शामिल किया गया था। पाकिस्तान को उम्मीद है कि संगठनों पर बैन लगाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी धूमिल हुई छवि में सुधार आ सकेगा क्योंकि उसे डर है कि इससे उसकी अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज को संयुक्त राष्ट्र एक आतंकवादी करार दे चुका है और उस पर 10 मिलियन डॉलर की ईनामी राशि भी रखी गई है। इतना ही नहीं पाकिस्तान में साल 2012 में लशकर-ए-तैयबा पर बैन लगाया जा चुका है, फिर भी इसकी गतिविधियां अक्सर पाक में सक्रिय पाई जाती है।
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