फैजुल्लागंज के दाऊद नगर में राजमिस्त्री राजू कश्यप ने कड़ी मेहनत करके एक छोटा सा आशियाना बनाया और एक-एक कर गृहस्थी का सामान जुटाया था. उसे उम्मीद नहीं थी कि एक ही झटके में उसके सारे सपने तार-तार हो जाएंगे और दो वक्त की रोटी के लिए उसे व उसके परिवार को संघर्ष करना पड़ेगा. उसके टूटे हुए सपनों की वजह बना बारिश के कारण इलाके में हुआ जलभराव. जिसकी वजह से राजू एक हफ्ते से काम पर नहीं जा पा रहा है. इससे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके घर में चूल्हा कैसे जल रहा होगा. यह कहानी सिर्फ राजू की नहीं बल्कि उन सभी लोगों की है, जो दाऊदनगर में रहते हैं.
2 हजार से अधिक घर पानी में
नये व पुराने दाऊदनगर को घनी आबादी वाला एरिया माना जाता है. यहां करीब सात से आठ हजार घर बने हैं. वैसे तो स्थिति दोनों एरिया की खराब है लेकिन सबसे ज्यादा कोहराम पुराना दाऊदनगर में टूटा है. यहां मौजूद करीब दो से ढाई हजार मकान पानी-पानी हो चुके हैं.
घरों की चौखट तक डूबी