सरकारी कार्यशैली परखने के लिए ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं। शहर से लगे राजस्व ग्राम तोगपुर के किसानों को देख लीजिए। पीएम किसान सम्मान निधि पाने के लिए वे संबंधित वेबसाइट व कृषि भवन के बीच करीब एक वर्ष से झूल रहे हैं। पीएम किसान वेबसाइट उनके आवेदन को रिजेक्ट कर देता है। कृषि भवन कारण बताता है, राजस्व ग्राम न होने का। तहसील सदर में राजस्व ग्राम तोगपुर दर्ज होने का प्रमाणपत्र देने के बावजूद करीब एक वर्ष से कृषि भवन में यह प्रकरण अनिस्तारित है। इस गांव के किसान सम्मान निधि पाने के लिए भटक रहे हैं। उप निदेशक कृषि डॉ. अशोक कुमार के अनुसार तोगपुर गांव के किसानों का प्रकरण कृषि निदेशालय को भेजा गया है, अभी अनिस्तारित है।
पेशे से पत्रकार व किसान विनयप्रकाश सिंह लल्ला के अनुसार तहसील सदर से राजस्व ग्राम तोगपुर का प्रमाणपत्र कृषि विभाग को दिए करीब एक वर्ष हो गया। पहली दिसंबर 2018 से शुरू पीएम किसान सम्मान निधि की पांच किस्तें जिले के किसानों को मिल चुकी है। तोगपुर गांव के किसानों को अभी पहली किस्त का इंतजार है। लल्ला सिंह के अनुसार उनके अलावा बद्रीप्रसाद, भगौती यादव, लक्ष्मण, महाराजा प्रताप, मुरलीधर, राजेंद्रप्रसाद मौर्य, रंजीत कुमार सिंह व शत्रुह्न ने किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन किया।संबंधित वेबसाइट ने रिजेक्ट कर दिया। राजस्व ग्राम होने का प्रमाणपत्र तहसील सदर का वह दे चुके हैं। जिले में करीब तीन लाख नौ हजार किसानों को पहली किस्त मिली थी। सर्वाधिक संख्या पहली किस्त वाले किसानों की है। दूसरी, तीसरी, चौथी व पांचवी किस्त पाने वाले किसानों की संख्या घटती जा रही है। किस्त न मिलने का कारण त्रुटिपूर्ण फीडिग कृषि भवन बताता है। कृषि भवन में त्रुटिपूर्ण फीडिग ठीक कराने के लिए सभाकक्ष में व ब्लॉक स्तर के राजकीय कृषि गोदामों में कर्मचारी लगाए गए हैं, फिर भी गड़बड़ियां बरकरार हैं