आईएनएक्स मीडिया मामले में इंद्राणी मुखर्जी ने जांच एजेंसियों के सामने अपने बयान में कहा है कि वित्त मंत्री रहने के दौरान पी. चिदंबरम ने उसके पति पीटर मुखर्जी से अपने बेटे कार्ति के कारोबार में मदद करने को कहा था. इंद्राणी मुखर्जी पहले ही शीना बोरा मर्डर केस में जेल की सलाखों के पीछे है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उसने बयान में कहा है कि आईएनएक्स मीडिया के पक्ष में एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति और पीटर मुखर्जी के बीच डील हुई थी.
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएनएक्स मीडिया के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्ति चिदंबरम को बुधवार को चेन्नै में गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई अभियोजकों वी के शर्मा और पद्मिनी सिंह ने दलील दी है कि कार्ति को गिरफ्तार किये जाने का एक और आधार यह है कि एजेंसी ने आईएनएक्स मीडिया (पी) लिमिटेड की पूर्व निदेशक इंद्राणी मुखर्जी के 17 फरवरी को मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज किये थे. इस बयान में इंद्राणी ने कहा था कि दिल्ली के हयात होटल में आईएनएक्स मीडिया की तरफ से कार्ति को 10 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि दी गई थी.
जांच एजेंसियों के अनुसार इंद्राणी और पीटर ने अपने बयान में कहा है कि वे एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए पी. चिदंबरम से उनके नॉर्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस में मिले थे. तब चिदंबरम ने उनसे कहा था कि वह उनके बेटे कार्ति की कारोबार में मदद करें.
जांच एजेंसियों ने यह भी दावा किया है कि आरोपियों के ठिकानों पर किए गए सर्च में आईएनएक्स मीडिया द्वारा कार्ति की कंपनियों और कुछ विदेशी कंपनियों को ग्रीक और स्पेन में करीब 7 लाख डॉलर के बाउचर पेमेंट का भी सबूत मिला है. इन सभी बाउचर पर पीटर मुखर्जी के दस्तखत हैं.
सीबीआई ने कहा कि कार्ति के जांच में असहयोग और लगातार विदेशी यात्राओं के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया. हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने इसका जबर्दस्त विरोध करते हुए कहा कि केन्द्रीय जांच एजेंसी ने पिछले छह महीनों में उनके मुवक्किल को तलब ही नहीं किया है.
कार्ति को 15 दिन हिरासत में दिये जाने का आग्रह करते हुए सीबीआई के वकीलों ने डयूटी मजिस्ट्रेट सुमित आनंद के समक्ष दलील दी कि कार्ति ने जांच में सहयोग नहीं किया था और वह लगातार विदेश की यात्राएं कर रहे है जिससे ‘सबूतों के साथ उनके और अन्य के द्वारा छेड़छाड़ की आशंकाओं की पुष्टि होती है.’
सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कार्ति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक ‘बेतुका’ मामला है और गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बनता है. उन्होंने दलील दी कि कार्ति को सीबीआई ने पिछले वर्ष दो बार 23 अगस्त और 28 अगस्त को तलब किया था और एजेंसी ने उनसे 22 घंटों तक पूछताछ की थी. इस दौरान कार्ति ने सभी सवालों के जवाब दिये थे.