एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी समस्या है जिसमें गर्भाशय के अंदर पाया जाने वाला एक ऊतक (टिश्यू) बढ़कर गर्भाशय के बाहर फैलने लगता है. यह ऊतक अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय के बाहरी हिस्सों में और अन्य आंतरिक हिस्सों में फैल सकता है. एंडोमेट्रियोसिस होने पर मासिक धर्म के दौरान तेज दर्द हो सकता है. यह ऊतक गर्भाशय के अंदर वाले ऊतक जैसा ही होता है लेकिन पीरियड्स के दौरान यह बाहर नहीं निकल पाता है जिससे दर्द होता है. कभी-कभी यह ऊतक निशान छोड़ देते हैं या द्रव से भरे अल्सर बनाते हैं. इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है.
अक्सर महिलाओं को इस बीमारी का तब तक पता नहीं चलता है जब तक वे प्रेगनेंसी के दौर से नहीं गुजरती हैं. इन्फर्टिलटी की समस्या से जूझ रहीं एक तिहाई महिलाओं को एंडोमेट्रोसियोसिस बीमारी से ग्रसित पाया गया. एंडोमेट्रोसियोसिस बीमारी होने का मतलब यह नहीं है कि आप प्रेगनेंट नहीं हो सकती हैं. दरअसल, महिलाओं के प्रजनन अंग पर एंडोमेट्रियल ग्रोथ होने पर अंडा और शुक्राणुओं का मार्ग अवरुद्ध हो सकता है. यूटेरस पर पड़े निशान एग को फर्टिलाइज करने की प्रक्रिया में परेशानी खड़ी करते हैं और गर्भधारण नहीं हो पाता है.
18 से 35 उम्रवर्ग की 2 करोड़ महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती हैं. एंडोमेट्रिओसिस जीवनशैली से उपजी बीमारी नहीं है. यह अधिकतर युवावस्था में होता है.
एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण-
एंडोमेट्रियोसिस के मुख्य लक्षणों में से पीरियड्स के दौरान सामान्य से ज्यादा दर्द होना है. ऊतक किस जगह पर बढ़ रहा है, उसके हिसाब से बैक पेन, दर्दनाक मूत्र विसर्जन, पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, अनियमित पीरियड्स, कब्ज, डायरिया, बार-बार पेशाब लगना, थकान, शारीरिक संबंध बनाते समय या बाद में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
एंडोमेट्रियोसिस के कुछ चक्रीय लक्षण भी होते हैं यानी महिलाओं के मासिक धर्म शुरू होने से पहले या कुछ समय बाद होने के दौरान ही नजर आते हैं. आंत्र समस्याएं जैसे समय-समय पर सूजन, शौच में दर्द, मूत्र में खून आना, गुदा से खून आना, कंधे का दर्द इत्यादि.
एंडोमेट्रिओसिस से महीने में कई बार रक्तस्त्राव कई बार हो सकता है और सामान्य से अधिक भी.
अगर आपके परिवार में किसी को एंडोमेट्रिसियोसिस है तो आपको यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. लक्षण दिखने पर अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें.