वहीं कांग्रेस ने इस सर्कुलर को बेवकूफाना बताया है। कांग्रेस नेता विश्वजीत कदम ने कहा कि यह एक एजुकेशन डिग्री है न कि छात्रों के खाने-पीने की आदतों के आधार पर दिया जाने वाला कोई पुरस्कार है।
सर्कुलर में खाने के अलावा यह भी लिखा गया है कि मेडल के लिए अप्लाई करने वाले छात्र को भारतीय सभ्यता-संस्कृति में भी रुचि होनी चाहिए। साथ ही उसका योग, प्राणायाम और ध्यान में रूची होना भी अनिवार्य है।
ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है गोल्ड मेडल
यह गोल्ड मेडल योगमूर्ति राष्ट्रीय कीर्तनकर रामचंद्र गोपाल शेलर और त्यागमूर्ति श्रीमती सरस्वती रामचंद्र शेलर के नाम पर एक ट्रस्ट 2006 से छात्रों को दे रहा है। इसमें विज्ञान और गैर-विज्ञान दोनों स्ट्रीम के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को वैकल्पिक तौर पर देता है।