फिल्म ‘पुष्पा 2’ ने थिएटर्स में पहले दिन ताबड़तोड़ कमाई की है। ओपनिंग डे पर फिल्म ने देशभर में 165 करोड़ रुपए कमा लिये हैं। थिएटर्स में दर्शक फिल्म के कई सीन पर जमकर सीटियां बजा रहे हैं। इस खबर में पढ़िए फिल्म के 10 बेहतरीन डायलॉग्स।
‘पुष्पा नाम सुनकर फ्लॉवर समझे क्या ? फ्लॉवर नहीं वाइल्ड फायर है मैं..’ ,‘मेरे हक का कोई भी पैसा हो.. पुष्पा का उसूल.. करेगा वसूल..’ और ‘पुष्पा को नेशनल खिलाड़ी समझे क्या? इंटरनेशनल है मैं..’
इस तरह के कई दमदार संवादों तो झलक तो हम सभी को फिल्म ‘पुष्पा 2’ के ट्रेलर में ही मिल गई थी। अब आप समझ ही सकते हैं कि फिल्म में कितने जबरदस्त डायलॉग्स होंगे। कुछ तो ऐसे हैं जो सीन की सिचुएशन पर और पुष्पा के स्वैग पर एकदम फिट होते हैं।
फिल्म के कई सीन में जब पुष्पा अपने एक पैर पर दूसरा पैर रखकर बैठता है ना तो उसके पीछे भी कोई वजह होती है। यही है वो वजह। पुष्पा जैसे बड़े आदमी का भार उठाने वाले पुष्पा के पैरों में भी अकड़ है।
पुष्पा, जो कभी एक लकड़ी काटने वाला दिहाड़ी मजदूर हुआ करता था। वो आज सिंडीकेट का ही नहीं पूरे चित्तूर का मालिक है। इतना बड़ा आदमी बनने के बाद वो अपना ईगो काबू में रखता है लेकिन इससे उसके स्वैग में कोई कमी नहीं आने देता।
एसपी भंवर सिंह शेखावत और पुष्पा की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। दोनों के ही बीच बहुत बड़ा ईगो क्लैश यानि अहंकार की लड़ाई है। पुष्पा को डराने के लिए भंवर कई पैंतरे अपनाता है। यह उन्हीं में से एक है।
पुष्पा इतना बड़ा आदमी बन चुका है कि अब उससे बड़े-बड़े मिनिस्टर तक मिलने आते हैं। इतना ही नहीं सिर्फ अपनी पत्नी की डिमांड पूरी करने के लिए पुष्पा सीएम तक बदलवा देता है। ऐसे में सीएम सिद्दप्पा को पुष्पा के घर पहुंचकर उसे भगवान के बराबर का दर्जा देना लाजिमी है।
पुष्पा पहले भी महिलाओं की इज्जत करता था और आज भी करता है। वो अपनी बायको यानि पत्नी श्रीवल्ली को रानी की तरह रखता है। इतना ही नहीं, वो उसकी हर बात भी मानता है और उसकी खुशी के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ऐसे में ये संवाद तो बनता है ना..
फिल्म में एक नेता से सीएम बने सिद्दप्पा का यह संवाद देश के पॉलिटिक्स पर गहरा कटाक्ष है। यहां वो कहना चाहता है कि वो सबकुछ खोकर ही पॉलिटिक्स में आया है अब उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है।
पुष्पा जितना प्यार अपनी बायको से करता है। उतना ही प्यार बायको भी उससे करती है। वो भी अपने सामी के लिए किसी से भी भिड़ने के लिए तैयार रहती है। एक सीन में जब कोई पुष्पा पर उंगली उठाता है तो श्रीवल्ली उसे यही जवाब देती है।
पहले भाग में पुष्पा से हारकर सिंडीकेट की जिम्मेदारी अपने हाथों से खो चुका मंगल श्रीनू, पुष्पा के स्वैग से भली-भांति परिचित है। उसे पता है कि पुष्पा पहले तो शांति से निकल जाता है पर फिर लौटता तूफान की तरह है।
जब एसपी भंवर सिंह शेखावत को पता चलता है कि पुष्पा अब सिर्फ नेशनल नहीं बल्कि इंटरनेशनल बन चुका है तब वो यह डायलॉग बोलता है। वैसे तो यह सच ही है कि पुष्पा की कोई लक्ष्मण रेखा नहीं है। वो अब इतना पावरफुल हो चुका है कि कहीं भी, कभी भी और कुछ भी कर सकता है।
अंत में जानते हैं फिल्म के सबसे चर्चित डायलॉग ‘रप्पा-रप्पा’ के बारे में। क्लाइमैक और फिल्म के अहम सीन में पुष्पा के साथ कुछ बहुत बुरा करने वाले गुंडों को पुष्पा यह चेतावनी देता है कि अगर वो नहीं माने तो वो उन्हें ‘रप्पा-रप्पा’ करके मारेगा। रप्पा-रप्पा का मतलब यहां बहुत बुरी तरह पिटाई करना है।