बोतल के पानी पर निर्भर हैं लोग सुधा सिन्हा ने जल संवाद पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि 1999 तक द्वारका में बिजली, पानी के साथ परिवहन सुविधा तक नहीं थी। द्वारका का नाम भी पप्पन कलां था। आज भी द्वारका में पानी की कमी है। लोग बोतल के पानी पर निर्भर हैं। इस दौरान द्वारका की एनजीओ सुख-दुख के साथी के संचालक कैप्टन एसएस मान ने कहा कि आज द्वारका को पानी मिल रहा है, लेकिन कल की कोई गारंटी नहीं है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कही बड़ी बात, बोले- 100 वर्षों में कभी कम नहीं हुई बारिश

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि जल संरक्षण कई तरीकों से किया जा सकता है। चूंकि, हर जगह की अपनी-अपनी संरचना है इसलिए जो तरीका सरल हो, उसपर पहले विचार किया जाना चाहिए और फिर उसे अपनाना चाहिए।बोतल के पानी पर निर्भर हैं लोग   सुधा सिन्हा ने जल संवाद पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि 1999 तक द्वारका में बिजली, पानी के साथ परिवहन सुविधा तक नहीं थी। द्वारका का नाम भी पप्पन कलां था। आज भी द्वारका में पानी की कमी है। लोग बोतल के पानी पर निर्भर हैं। इस दौरान द्वारका की एनजीओ सुख-दुख के साथी के संचालक कैप्टन एसएस मान ने कहा कि आज द्वारका को पानी मिल रहा है, लेकिन कल की कोई गारंटी नहीं है।

बना दिया गया है कानून 

जयराम रमेश द्वारका सेक्टर-23 स्थित दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल में शनिवार को जल संवाद पर आयोजित संगोष्ठी में बोल कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फिनलैंड महज 20 लाख की आबादी वाला देश है। वहां जल संरक्षण के लिए भूमिगत जलाशय तैयार किए गए हैं। जिनके ऊपर पार्क बने हैं और बहुमंजिला इमारतें खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि हैदराबाद और चेन्नई में बारिश के पानी को बहुमंजिला इमारतों के सहारे संरक्षित किया जाता है। इसलिए यहां कानून बना दिया गया है कि जब तक बारिश के जल संचयन की व्यवस्था न हो, इमारत खड़ी नहीं की जा सकती।

बारिश किसी भी साल कम नहीं हुई

जयराम रमेश ने दावा किया कि पिछले सौ वर्ष का रिकॉर्ड उठाकर देखा जाए तो बारिश किसी भी साल कम नहीं हुई। पर्यावरण में आए बदलाव से पहले की तुलना में अब तीन माह के दौरान होने वाली बारिश अब 10 से 15 दिनों के भीतर हो जाती है। ऐसे में तीव्र गति से बारिश होने की वजह से पानी नहीं रुक पाता। नालियों और नालों में बह जाता है। इसे रोकने और संचयन की जरूरत है। यह सबसे बड़ी चुनौती है।

बेल्जियम का दिया उदाहरण

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बेल्जियम का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां पानी सात बार रिसाइकिल होता है और इसे नल में से सीधे उपयोग किया जाता है। दिल्ली में जल की कमी और उसके उपाय पर आयोजित चर्चा के दौरान पूर्व सांसद महाबल मिश्रा, पर्यावरणविद् दीवान सिंह और जल संरक्षण विशेषज्ञ उमेश आनंद, द्वारका सीजीएचएस फेडरेशन की सचिव सुधा सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी सब्सिडी दे सरकार 

महाबल मिश्रा ने कहा कि द्वारका में वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये जल संचयन किया जा सकता है। उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के द्वारका में जलापूर्ति का श्रेय लेने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की देन है कि मूनक नहर से पानी दिल्ली में आया और द्वारका को पानी मिलने लगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब दिल्ली सरकार जल की आपूर्ति पर सब्सिडी दे सकती है तो उसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी सब्सिडी देनी चाहिए।

बोतल के पानी पर निर्भर हैं लोग 

सुधा सिन्हा ने जल संवाद पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि 1999 तक द्वारका में बिजली, पानी के साथ परिवहन सुविधा तक नहीं थी। द्वारका का नाम भी पप्पन कलां था। आज भी द्वारका में पानी की कमी है। लोग बोतल के पानी पर निर्भर हैं। इस दौरान द्वारका की एनजीओ सुख-दुख के साथी के संचालक कैप्टन एसएस मान ने कहा कि आज द्वारका को पानी मिल रहा है, लेकिन कल की कोई गारंटी नहीं है।

 
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com