पूर्व खेल मंत्री एम एस गिल ने पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए रूट खोलने के प्रस्ताव का स्वागत किया है. पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित इस गुरुद्वारे के लिए रास्ते को गुरु नानक के 550वें जन्मदिवस पर खोले जाने का प्रस्ताव है.
गिल ने कहा है कि यह भारत के लिए बड़ा संकेत है और इस प्रस्ताव का स्वागत किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जाहिर किया कि अब तक जनरल बाजवा के इस प्रस्ताव पर भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी. शनिवार को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उन्हें जनरल बाजवा की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया था. उन्होंने कहा कि बाजवा ने ननकाना साहिब के लिए भी रूट खोलने की इच्छा जताई थी.
पाकिस्तान की कई जगहों में से ये दोनों जगहें सिखों की आस्था का केंद्र रही हैं. कई बार पाकिस्तान जा चुके गिल ने कहा कि भारत सरकार ने कभी भी सिखों के लिए ऐसी कोई पहल नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘मुस्लिमों के पास मक्का है, हिंदुओं के पास तिरुपति है, लेकिन छोटा सा सिख समुदाय पाकिस्तान में करतारपुर साहिब जाने से वंचित क्यों है?’
पाकिस्तान में जाने पर सिख यात्री गुरु नानक के जन्मस्थान ननकाना साहिब तो चले जाते हैं लेकिन उन्हें करतारपुर साहिब जाने की इजाजत नहीं होती है. करतारपुर साहिब में गुरु नानक ने अपनी जिंदगी के दो आखिरी दशक बिताए थे. भारत-पाकिस्तान सीमा से तीन किमी दूर स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए गुरुद्वारा डेरा साहिब से रास्ता उपलब्ध कराने की अक्सर मांग उठती रहती है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ऐसा हो सका तो सिख तीर्थयात्री एक ही दिन में दोनों जगहों पर जा सकेंगे और इसके लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत भी नहीं रहेगी.
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