हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में पुन र्जन्म की मान्यता है। यही कारण है कि इन धर्मों को लेकर जेहन में कई तरह के सवाल होते हैं। जैसे कि मृत्यु के बाद और जन्म के पहले किस योनि में होंगे? लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हम इसी जन्म में यह पता कर सकते हैं कि हम क्या थे और क्या होंगें?
एक ऐसे ऋषि जिसने जिंदगी में किसी स्त्री को नहीं देखा!
इस जिज्ञासा को स्वयं की जन्मकुंडली के जरिए दूर किया जा सकता है। यानी जन्मकुंडली यह बता सकती है कि आप पूर्वजन्म में क्या थे और मरने के बाद क्या बनोगे।
पूर्वजन्म में क्या थे…
– ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के हों तो उस व्यक्ति ने उत्तम योनि भोगकर मनुष्य जन्म लिया है।
– यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा व्यक्ति होता है।
– जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो अथवा तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्टाचारी होता है।
– सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का था।
– गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी था।
– कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य, पांचवें में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि वह व्यक्ति पूर्वजन्म में लोगों की मदद करने वाला रहा होगा।
मृत्यु के बाद मिलेगा ये जन्म
– अष्टम भाग में शुक्र पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक मृत्यु के बाद वैश्य कुल में जन्म लेता है।
– कुंडली में कहीं पर भी यदि कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो जातक मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है।
– अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तथा लग्नस्थ मंगल पर निम्न शनि की दृष्टि हो तो जातक नरक भोगता है।
– अष्टम भाव को शनि देख रहा हो और अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो तो जातक मृत्यु के बाद विष्णु लोक प्राप्त करता है।
– ग्यारहवें भाव में सूर्य-बुध हों, नवम भाव में शनि तथा अष्टम भाव में राहु हो तो जातक मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है।