बहुचर्चित पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह मर्डर केस में आतंकी जगतार सिंह तारा को दोषी करार दे दिया गया है। मामले में सजा कल सुनाई जाएगी।
गत 9 मार्च को बुड़ैल जेल की विशेष अदालत में केस में फाइनल बहस पूरी हो गई थी। उसके बाद अगल सुनवाई शुक्रवार 16 मार्च को हुई, जिसमें तारा को दोषी करार दिया गया। अब सुनवाई कल 17 मार्च को होगी, जहां केस में सजा सुनाई जाएगी। जगतार सिंह तारा के वकील सिमरन ने यह जानकारी दी।
बता दें कि पिछली सुनवाई में जिला अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेएस सिद्धू की कोर्ट में तारा ने कहा था कि वह अपने 25 जनवरी 2018 को दिए बयानों पर ही कायम है। पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील ने तारा से सीआरपीसी-313 के तहत 162 सवाल पूछे गए थे।
इस पर जज ने तारा को खुद के बचाव में गवाही पेश करने को कहा था, लेकिन तारा ने सीबीआई वकील के प्रश्नों का जवाब देते हुए अपने बचाव में गवाही देने से इंकार कर दिया था। उसने कहा कि जो बयान उसने लिखित में दिए हैं, वही अंतिम समझे जाएं।
तारा ने 6 पेजों का कुबूलनामा दिया था
बता दें कि मामले में 25 जनवरी 2018 को जगतार सिंह तारा ने 6 पेजों का कुबूलनामा अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश जेएस सिद्धू की अदालत में पेश किया था। इसमें तारा ने बेअंत सिंह की हत्या करवाने की बात कबूल की है। साथ ही कहा था कि ऐसा करने पर उसे कोई अफसोस नहीं है।
तारा ने हत्याकांड के पीछे के औचित्य और तर्क भी बताए थे। तारा ने कहा था कि इस कदम से पहले उसने सिख इतिहास और परंपरा से प्रेरणा ली थी। इसमें यह भी कहा गया है कि सिख इतिहास ने उन्हें सिखाया कि वह अन्याय नहीं सहे और उस समय परिस्थितियां असहिष्णु थी, जब बड़े पैमाने पर निर्दोष युवा मारे गए थे।
सत्ता में आने के बाद बेअंत सिंह ने अपराधियों को दंडित नहीं किया था। पत्र में कहा है कि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के बाद बेअंत सिंह ने इन अधिकारियों को पदोन्नति देकर राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए उनके नाम का उल्लेख करते हुए पुरस्कृत किया था।
इसलिए उसे बेअंत सिंह की हत्या कर दी। उसे इस हत्या के लिए कोई पछतावा नहीं। उसे विद्रोही या देशद्रोही कहे जाने का डर नहीं है, क्योंकि उसका मकसद सही था। जिस तरह से ऊधमसिंह ने जलियांवाला बाग का बदला लिया और ब्रिटिश सरकार ने उसे आतंकवादी कहा और जिस तरह से मुगलों ने सिख साम्राज्य को विद्रोही करार दिया, वैसे ही उसने सभी अन्याय का बदला लेने का प्रयास किया था।
ये था बेअंत सिंह हत्याकांड मामला
बता दें कि 31 अगस्त अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय की बिल्डिंग के पास हुए बम ब्लास्ट में पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस ब्लास्ट में 17 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। इस हत्याकांड में जगतार सिंह तारा को मुख्य आरोपी बनाया गया।
21 जनवरी 2004 को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल से अपने साथियों के साथ जगतार सिंह तारा फरार हो गया था। तब से वह बुड़ैल जेल ब्रेक मामले में भी आरोपी है। करीब 10 साल बाद दिसंबर 2014 में इंटरपोल की मदद से जगतार सिंह तारा को भारतीय एजेंसियों ने थाईलैंड की एजेंसी के साथ मिलकर गिरफ्तार किया गया था।
फिर जगतार सिंह तारा को भारत लाया गया। यहां लाकर उसे फिर से बुड़ैल जेल में ही रखा गया है। तब से वहीं जेल में ही सीबीआई की विशेष अदालत में बेअंत सिंह हत्याकांड का मुकदमा चल रहा है।