पिछले कई दशकों से खाड़ी देशों में लाखों भारतीय पैसा कमाने के लिए जाते रहे हैं. भारतीयों ने वहां अच्छा पैसा बनाया और कई तो इन देशों के बड़े कारोबारियों में शुमार हो गए हैं. पीएम मोदी से प्रभावित होकर इनमें से कई अब वापस मातृभूमि यानी भारत में निवेश कर रहे हैं. यूएई के बिजनेस लीडर फोरम में यह बताया गया कि 100 भारतीय मूल के कारोबारियों के पूल ने भारत में एक अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है.
सीएनएन मनी के अनुसार पिछले साल में पीएम मोदी की कारोबार अनुकूल नीतियों से प्रभावित होकर खाड़ी में रहने वाले प्रमुख प्रवासी या भारतीय मूल के कारोबारियों ने भारत में अरबों डॉलर के निवेश का वायदा किया है.
जानकारों का कहना है कि कारोबार सिर्फ देशभक्ति से नहीं चल सकता. प्रवासी भारतीय या भारतवंशी कारोबारी भारत में कारोबारी सुगमता और अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना देख ही यहां निवेश करने आ रहे हैं.
गौरतलब है कि समूचे खाड़ी इलाके में 90 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं, जिनमें से करीब 30 लाख अकेले यूएई में रहते हैं. यूएई से सबसे ज्यादा रकम भी भारत भेजी जाती है. साल 2016 में वहां रहने वाले भारतीयों ने 13 अरब डॉलर राशि भारत भेजी.
बीआरएस वेंचर्स
खाड़ी देशों में कारोबार करने वाली कंपनी बीआरएस वेंचर्स के सीईओ बिनय शेट्टी ने कहा कि वह भारत में निवेश से हिचकते थे, क्योंकि यहां काफी हद तक भ्रष्टाचार और लालफीताशाही था. लेकिन नई सरकार के आने के बाद चीजें काफी बदल रही हैं और अब हम भारत में अपने कारोबार का विस्तार चाहते हैं. शेट्टी के पिता 1973 में यूएई चले गए थे. वहां उन्होंने मेडिकल सप्लाई के सेल्समैन की नौकरी शुरू की. दो साल के बाद ही अबूधाबी में उन्होंने खुद की क्लीनिक और डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने यूएई में अस्पतालों का एक नेटवर्क तैयार कर दिया. आज उनकी कंपनी एनएमसी हेल्थ (NMHLY) लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो गई है और उसका नेटवर्थ 8.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.
बीआरएस वेंचर्स अपनी इस सफलता को भारत तक पहुंचाना चाहती है. पिछले कुछ साल में उन्होंने भारत में कुल 1,000 बेड के कई अस्पतालों का अधिग्रहण भी किया है. अगले पांच साल में उनकी योजना 4,000 बेड से ज्यादा के अधिग्रहण की है. कंपनी अगले दो साल में फार्मा, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भारत में 30 करोड़ डॉलर का निवेश करना चाहती है.
इसी तरह के एक सफल कारोबारी हैं दुबई के सुदेश अग्रवाल. उन्होंने बताया कि प्रवासी भारतीय कारोबारी अपने देश में हेल्थकेयर, शिक्षा, सौर ऊर्जा, बुनियादी ढांचा आदि में निवेश कर रहे हैं.
लुल्लू ग्रुप
लुल्लू ग्रुप खाड़ी देशों में सुपरमार्केट के चेन के लिए प्रसिद्ध है. इस ग्रुप ने दक्षिण भार में मॉल, कॉन्वेंशन सेंटर और होटल खोले हैं और उसके कई प्रोजेक्ट ऑनलाइन हैं. इसका सालाना टर्नओवर 6.9 अरब डॉलर से ज्यादा है. इसके संस्थापक एम.ए. युसुफ अली हैं, जो चार दशक पहले भारत के केरल से मध्य-पूर्व गए थे.
केईएफ होल्डिंग्स
प्रीफ्रैब्रिकेटेड बिल्डिंग बनाने में महारत हासिल कर चुकी कंस्ट्रक्शन कंपनी केईएफ होल्डिंग ने साल 2016 से अब तक चारभारतीय प्रोजेक्ट में 18 करोड़ डॉलर का निवेश किया है.
एस्टर
दुबई की हेल्थकेयर कंपनी एस्टर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ ला रही है. इसकी स्थापना 1987 में दुबई में डॉ. आजाद मूपन ने की थी.