प्यार में दिल टूट जाए तो न हों परेशान, होम्योपैथी में मिलेगा पूरा इलाज

प्यार में दिल टूट जाए तो न हों परेशान, होम्योपैथी में मिलेगा पूरा इलाज

प्यार में दिल टूट जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं। इसका इलाज भी होम्योपैथी में बगैर किसी साइड इफेक्ट के मुमकिन है। यह जानकारी होम्योपैथी के विशेषज्ञ डॉ. हर्ष निगम ने शनिवार को हैनीमैन एजुकेशलन एंड डेवलपमेंट सोसाइटी की ओर से होम्योपैथी पर आयोजित संगोष्ठी में दी। प्यार में दिल टूट जाए तो न हों परेशान, होम्योपैथी में मिलेगा पूरा इलाजBig Breaking: यूपी एटीएस ने मुम्बई एयरपोर्ट से आंतकी को किया गिरफ्तार!

डॉ. हर्ष ने बताया कि युवाओं में तनाव व अवसाद सबसे बड़ी समस्या बन रही है। इसका एक प्रमुख कारण रिश्तों की नाकामयाबी है। उन्होंने बताया कि एलोपैथ समेत दूसरी अन्य पद्धतियों में इलाज के नाम पर सिर्फ नींद की दवा दे दी जाती है।

ऐसे में फायदा के बजाय पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि होम्योपैथी पद्धति देश के गरीब लोगों के लिए सबसे अधिक उपयोगी है।

इस मौके पर डॉ. डीपी रस्तोगी, डॉ. अनिरुद्ध वर्मा, डॉ. एएन सिंह, डॉ. ओपी श्रीवास्तव, डॉ. जमील अहमद फारूकी व डॉ. दीपक शर्मा भी मौजूद थे।

अवसाद के हैं चार चरण

अवसाद के होते हैं चार चरण, …और हर चरण का इलाज अलग
डॉ. हर्ष निगम ने बताया कि तनाव व अवसाद को चार चरणों में बांटा गया है। इसके हर चरण का अलग इलाज किया जाता है। इससे मरीज को जल्द से जल्द अवसाद जैसी समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
1. पहले चरण में व्यक्ति सुन्न हो जाता है। वह कुछ भी सोच-समझ नहीं पाता। 
2. दूसरा सर्चिंग फेज होता है, इसमें व्यक्ति अभिलाषा में जीता है। दुखी रह कर व्यक्ति अपने अतीत को याद कर के खोया रहता है। 
3. तीसरा ग्रीविंग फेज होता है। इस चरण में व्यक्ति बहुत दुखी रहने लगता है और एक समय बाद वो आक्रामक, बदले की भावना, सुसाइड व अपराध की प्रवृत्ति रखने लगता है। यह फेज बेहद घातक होता है। 
4. चौथे चरण को ‘फेथ ऑफ रीकंस्ट्रकशन’ कहते हैं। इसमें मरीज व्यक्ति सारे चरणों को पार कर दोबारा सुधार की स्थिति में होता है लेकिन इस चरण में भी मानसिक स्थिति के सुधार के लिए इलाज की जरूरत होती है। 

बांझपन से छुटकारा दिलाने में भी होमियोपैथी आगे

डॉ. हर्ष निगम ने बताया कि देश में करीब 10 प्रतिशत दंपती बांझपन का शिकार हैं। इनमें से करीब 60 प्रतिशत लोगों में इंफर्टिलिटी का कारण पता नहीं चल पाता। आईवीएफ तकनीक से भी केवल 12 से 14 प्रतिशत दंपती को ही कामयाबी मिल पाती है। इलाज होम्योेपैथी से किया जाए तो करीब 25 प्रतिशत दंपती पूर्ण रूप से ठीक हो सकते हैं।

सांस व दिल के मरीज होम्योपैथी से न कराएं इलाज

डॉ. हर्ष ने बताया कि सांस या हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को होम्योपैथी पद्धति से इलाज नहीं कराना चाहिए। मिर्गी के दौरे व लकवे में भी एलोपैथी पद्धति से इलाज करवाना चाहिए। इन बीमारियों में मरीज के पास समय कम होता है। ऐसे में इस पद्धति से मरीज की जान नहीं बचाई जा सकती।

ओवरियन सिस्ट में बिना ऑपरेशन इलाज

नेशनल इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. एलएम खान ने बताया कि एलोपैथ में महिलाओं में ओवरियन सिस्ट का एकमात्र इलाज सर्जरी है। होमियोपैथ में बिना ऑपरेशन ही दवाओं से इलाज संभव है।
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