विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ग्रेडिंग में पहले और दूसरे पायदान पर रहने से देश के विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियन के तहत अनुदान दिया जाता है. मध्य प्रदेश की कोई भी यूनिवर्सिटी यूजीसी की ग्रेडिंग में पहले और दूसरे नंबर पर नहीं आयी है. प्रदेश के सभी सातों विश्वविद्यालय ग्रेड तीन में आए हैं
यूजीसी की ग्रेडिंग में तीसरे नंबर पर आने की प्रमुख कारण नैक रैंकिंग में विश्वविद्यालयों का पीछे रहना है. दरसअल नैक रैकिंग में ग्रेड 1 में जगह बनाने के लिए कम से कम 3.51 अंक आना जरुरी होता है. ग्रेड 2 में जगह बनाने के लिए 3.25 से 3.50 तक अंक होना जरुरी होता है.
अगर यूनिवर्सिटी ग्रेड 1और ग्रेड 2 में रहती है तो राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियन के अंतर्गत यूजीसी के तय पैमाने के तहत फंडिंग में विशेष आर्थिक लाभ मिलता है. अगर यूनिवर्सिटी ग्रेड 3 में रहती हैं तो फंडिंग में सतर फीसदी तक कटौती कर दी जाती है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियन के तहत यूनिवर्सिटी को इंफ्रास्ट्रक्चर, लैब, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए ये राशि दी जाती है. बताय जा रहा है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों पर अधिक भार है और 300 या इससे भी ज्यादा कॉलेज संबद्ध हैं. यूजीसी ने कहा है कि एक विवि से 200 कॉलेज संबद्ध हों न चाहिए.
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