प्रयागराज महाकुंभ में महिलाओं का ऐतिहासिक योगदान

महाकुंभ 2025 के दौरान विभिन्न अखाड़ों में 7,000 से अधिक महिलाओं ने संन्यास दीक्षा लेकर सनातन धर्म की सेवा और रक्षा का संकल्प लिया है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आधिकारिक बयान में दी। सरकार के बयान के अनुसार, जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी और वैष्णव संन्यासियों के धर्माचार्यों के नेतृत्व में बड़ी संख्या में महिलाओं ने संन्यास की दीक्षा ली है।

‘नागा संन्यासिनी’ के रूप में 46 महिलाओं को दी गई दीक्षा
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की अध्यक्ष डॉ. देव्या गिरी ने बताया कि इस बार 246 महिलाओं को ‘नागा संन्यासिनी’ के रूप में दीक्षा दी गई। 2019 के कुंभ मेले में यह संख्या 210 थी, जो इस बार बढ़कर 246 हो गई है। देव्या गिरी ने कहा कि इस बार दीक्षा लेने वाली महिलाओं में कई शिक्षित महिलाएं भी शामिल हैं, जो इस बदलाव को दर्शाता है।

महाकुंभ में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
दिल्ली विश्वविद्यालय की रिसर्च छात्रा इप्सिता होल्कर, जो महाकुंभ में युवाओं की भूमिका पर शोध कर रही हैं, ने एक सर्वे में पाया कि महाकुंभ में आने वाले हर 10 श्रद्धालुओं में से 4 महिलाएं होती थीं, विशेष रूप से पौष पूर्णिमा से लेकर बसंत पंचमी तक। इस बार महिलाओं की भागीदारी केवल दर्शन और स्नान तक सीमित नहीं है, बल्कि वे संन्यास लेकर सनातन धर्म की सेवा करने का संकल्प ले रही हैं।

कुंभ मेले का महत्व
कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित होता है। इस बार महाकुंभ 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हुआ था। कुंभ मेले का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही इसका ज्योतिषीय आधार भी है। कुंभ मेला हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्जैन में आयोजित होता है, जहां संगम के पवित्र जल में स्नान और पूजा-अर्चना का सबसे बड़ा अवसर होता है।

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