गैंग ने इस लोगों को सेना में कराया भर्ती
आरोपियों ने बताया कि उन लोगों ने फर्जी दस्तावेज की मदद से सेना में नेपाली युवकों-सुदेव थापा, अमित थापा, भानूप्रमाप राय, बीशन बहादुर, अमित सिंह राणा, भानू प्रताप सिंहस, नैरेन सिंह, मनीष कुमार शर्मा, निर्मल गुरंग, थिम्बुवन, देवनाथ, करन सिंह, प्रद्युम्न सिंह, अभिमन्यु सिंह, मदन थापा, आशीष रावल, दीपक थापा, नरेन्द्र सिंह, योगेन्द्र सिंह, करन सिंह, चिराज राय, हरिकेश सिंह, राजेश थापा, कमल थापा, किशन पाल सिंह, रिशम थापा, हिमांशु सिंह, भारल थापा, राजेन्द्र थापा, राहुल गौतम, जंगबहादुर थापा आदि अनेक नेपाली युवको को विभिन्न स्थानों भर्ती कराया जा चुका है।
फर्जी दस्तोवज में सेना में भर्ती का धंधा चलाने वाले तीन गिरफ्तार
लखनऊ , 17 नवम्बर । भारतीय सेना में फर्जी दस्तोवज की मदद से सेना में भर्ती कराने वाले तीन दो नेपाली सहित तीन लोगों को बुधवार को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के कैण्ट इलाके से गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से भारी संख्या में फर्जी दस्तोवज , कम्प्यूटर व साढ़े तीन लाख रुपये बरामद किया है। फिलहाल एसटीएफ के अधिकारी आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं।
एसटीएफ ने इस बात की सूचना अन्य खुफिया एजेंसियों को भी दे दी है। वहीं इस गैंग के आतंकी कनेक्शन के बारे में भी पता लगाया जा रहा है। एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि एसटीएफ को इस बात की कई दिनों से सूचना मिली रही थी किे एक ऐसा जालसाजोंं को गिरोह सक्रिय है जो नेपाली नागरिकों को फर्जी दस्तावेजों(निवास, जाति प्रमाण-पत्रों) व भूतपूर्व सैनिकों की डिस्चार्ज-बुक में कूटरचना करके नेपाली नागरिकों को भारी धनराशि लेकर भारतीय सेना व अन्य सरकारी व गैरसरकारी संस्थानो में भर्ती कराने का कार्य कर रहा है। इस सूचना पर काम करते हुए कैण्ट के कैन्टोनमेन्ट के नीलमथा एरिया के भगवतीनगर निवासी मिलन थापा व केन्टोनमेन्ट स्थित एमबी क्लब में सर्वेन्ट की नौकरी करने वाले संदीप थापा व माया कम्प्यूटर कोचिंग संचालक अनिल श्रीवास्तव निवासी कैण्ट मिलकर भूतपूर्व सैनिकों की फर्जी डिस्चार्ज-बुक, निवास, जाति प्रमाण-पत्र व कूटरचित मार्कशीट तैयार कर सेना व सरकारी व गैरसरकारी संस्थानो में भर्ती कराने का धन्धा कर रहे हैं तथा अभ्यर्थियों से भारी धनराशि वसूल रहे हैं। इस सूचना को जुटाने के बाद बुधवार की रात एसटीएफ की टीम ने नेपाल निवासी मिलन थापा व संदीप थापा और माया कम्प्यूटर कोचिग के मालिक अनिल श्रीवास्तव को कैण्ट इलाके से गिरफ्तार किया। आरोपियों के पास से साढ़े तीन लाख रुपये नकद, 2 कूटरचित डिस्चार्ज-बुक, एक अद्र्धनिर्मित कूटरचित डिस्चार्ज-बुक, 20 कूटरचित डिस्चार्ज-बुक खाली, 1 सेना का परिचय-पत्र, 90 कूटरचित अंकतालिकायें हाईस्कूल व इण्टरमिडिएट, 20 चरित्र व अविवाहित प्रमाण-पत्र(कूटरचित), 10 खाली गोरखा निवास-प्रमाण-पत्र, 40 खाली कूटरचित लेटरपेड सभासद, 10 एटीएम कार्ड, 6 आधार कार्ड, 6 मोबाइल फोन, 10 भारतीय कम्पनियों के सिम कार्ड, 1 नेपाली सिम, 1 डैस्क टॉप कम्प्यूटर मय स्केनर व प्रिन्टर, 1 अदद लेमिनेशल मशीन, 1 अदद पल्सर मोटरसाईकिल, 3 अदद सेना की फर्जी मुहरें, 2 एसडीएम सदर की मुहरें, 1 अदद सभासद की मुहरे, 20 तहसीलदार के अद्र्धनिर्मित जाति प्रमाण-पत्र, 25 निवास प्रमाण-पत्र और 63 टीसी बरामद की गयी। पूछताछ में मिलन थापा ने बताया कि वह मूल रूप से नेपाल का निवासी है और बीते 8 से 10 वर्षो से लखनऊ में निवास कर रहा है। वह नेपाल से नेपाली गोरखा युवकों को भारत में लाकर उनके फर्जी निवास व जाति प्रमाण-पत्र तैयार कराकर उन्हें सेना व सरकारी,गैरसरकारी संस्थानो में भर्ती कराये जाने का धन्धा पिछले लगभग 5वर्षो से कर रहा है। आरोपी ने बताया कि वह यह कार्य नेपाल के बर्खास्तशुदा मिलिट्री इन्टेलीजेन्स कर्मी प्रकाश थापा के कहने पर करता है। प्रकाश थापा द्वारा नेपाल से नेपाली युवकों से पैसा लेकर उन्हें सेना, सरकारी व गैर संस्थानो में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्ती कराने के लिए उनके पास भेजता है और कभी-कभी वह स्वयं भी आ जाता है। फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए उस क्षेत्र की सभासद के फर्जी लेटरपेड का प्रयोग कर निवास प्रमाण-पत्र बनाया जाता था। फर्जी निवास व जाति प्रमाण-पत्र तैयार कराने के लिए राजस्व विभाग के अस्थाई कर्मचारी उन्नाव निवासी समीर द्वारा उनकी मुलाकात लोकवाणि में कार्यरत अश्वी मौर्या से करायी गयी थी। अश्वनी मौर्या द्वारा 3 हजार से 5 हजार रूपये तक प्रति प्रमाण-पत्र लिया जाता था। इस धनराशि में 50 प्रतिशत हिस्सा समीर का रहता था। एसटीएम समीर व अश्वनी की तलाश कर रही है।
दोनों आरोपियों के बनाये गये निवास प्रमाण-पत्र के आधार पर वे अनिल श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गयी हाईस्कूल की फर्जी अंकतालिका व सेना में कार्यरत 11 जीआरआरसी, लखनऊ के एक हवलदार पीटीआई के माध्यम से भूतपूर्व सैनिकों की डिस्चार्ज-बुक का कोड नंम्बर हासिल कर कूटरचित डिस्चार्ज-बुक तैयार लेते थे, जिसके आधार पर सरकारी,गैरसरकारी संस्थानो में गार्ड के रूप में नियुक्ति कराते हैं। इस धन्धे में वह भर्ती के नाम पर 7 लाख से लेकर 10 लाख रूपये तक लेते थे। इसके अलावा कूटरचित डिस्चार्ज-बुक व परिचय-पत्र तैयार करने के लिए 50 हजार से 75 हजार रूपये तक लेते थे। आरोपी ने यह भी बताया कि उसके 2 भाई-दोज बहादुर थापा(32आरआरश्रीनगर, कश्मीर) व अजीत थापा(11 जीआर लखनऊ) भारतीय सेना में कार्यरत हैं। आरोपी का कहना है कि 39 जीटीसी से सेवानिवृत्त हवलदार बमबहादुर शाही, जो वर्तमान में फुलवरिया कैन्टोनमैन्ट, वाराणसी में रहता है, भी उनके पास भर्ती कराने हेतु नेपाली युवको को भेजता है। एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि डिस्चार्ज-बुक व सभासद का लेटरपेड व मुहरे केसरवानी कम्प्यूटर, कैसरबाग, लखनऊ के केसरवानी नामक शख्स से तैयार कराते है, जो पहले भी फर्जी दस्तावेज बनाने में जेल जा चुका है। इन फर्जी दस्तावेजो के आधार पर देश के किसी भी कैन्टोनमैन्ट अथवा किसी भी संवेदनशील एरिया में आ जा सकते हैं तथा इन्ही कूटरचित दस्तावेजो के आधार वे सेना से मिलने वाली अन्य सुविधाओं का भी लाभ ले सकते हैं। पकड़े गये आरोपियों से अब अन्य खुफिया एजेंसियां पूछताछ कर रहीं हैं।