नई दिल्ली। नोटबैन के बाद कैश की किल्लत तो आपको याद ही होगी। ठीक वैसी ही परेशानी होने वाली है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कैश की सप्लाई कम कर दी है।
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नोटबंदी में तो डिजिटल ट्रांजैक्शन ने खूब जोर पकड़ा लेकिन चार महीने बाद अब फिर से देश कैश पर निर्भर हो चला है। इस नाते कैश की सप्लाई घटाकर डिजिटल ट्रांजैक्शन को फिर से बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। जाहिर है आरबीआई के इस कदम से लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
कैश की सप्लाई 25 फीसदी तक कम
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आरबीआई ने बैंकों के लिए कैश की सप्लाई 25 फीसदी तक कम कर दी है। इस वजह से देश के कई शहरों में एटीएम या तो खाली हैं, या उनके शटर डाउन हैं। माना जा रहा है ये सब एक प्लान के तहत है। आने वाले दिनों में ये स्थिति और भी खराब हो सकती है।
पश्चिमी-दक्षिण भारत के राज्यों में नकदी की ज्यादा कमी है। कई बड़े सरकारी बैंकों में जमा के मुकाबले निकासी ज्यादा हो रही है। हालांकि एक फिर डिजिटल ट्रांजैक्शन भूल लोग नकदी के सहारे काम कर रहे हैं। नकदी का इस्तेमाल रोकने के लिए ही आरबीआई ने सप्लाई घटाने का निर्णय लिया है। नकदी की कमी निजी बैंकों में ज्यादा है। इस बारे में बैंकों का कहना है कि बीते माह से ही कैश की सप्लाई कम हो रही है।
साथ ही खबर है कि 31 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में कैश सर्कुलेशन 32,470 करोड़ से घटकर 22,190 करोड़ रुपये पर आ गया है, जबकि जनवरी से मार्च के बीच ये हर हफ्ते करीब 33,000 करोड़ की औसत से बढ़ा था।