फिर भाजपा की आवाज बने राकेश त्रिपाठी
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आने वाले बीजेपी के एक ऐसे नेता जिन्होंने कम उम्र में अपनी भी एक पहचान बनाई और भारतीय जनता पार्टी की आवाज बन कर कई विषम परिस्थितियों में पार्टी के मन की बात आम जन तक रखने का काम किया। कहने को तो ये नेता एक ब्राह्मण हैं जिनको भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रवक्ता बनाया लेकिन इस नेता ने ख़ुद को ब्राह्मण नेता नहीं बल्कि सर्वजन का नेता बनकर साबित किया। इनका नाम है राकेश त्रिपाठी।
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के बांसी क्षेत्र के रहने वाले राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। पेशे से वकील, पत्रकारिता में एमए, समाजसेवी और भारतीय जनता पार्टी के जुझारू कार्यकर्ता और प्रवक्ता हैं। राकेश ने अपना राजनीतिक जीवन लखनऊ विश्वविद्यालय से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के तौर पर शुरू किया और तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा। एबीवीपी से जुड़कर महानगर मंत्री,प्रदेश मंत्री बने और इस बीच पढ़ाई भी जारी रखी। पहले लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि ऑनर्स की पढ़ाई की और फिर पत्रकारिता में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास्टर किया। लखनऊ विश्वविद्यालय में रहते हुए एक जुझारू छात्र नेता के तौर पर अपनी पहचान स्थापित की। तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह को काला झंडा दिखाकर लाठीचार्ज में गंभीर घायल हुए और भरपूर सुर्खियां बटोरी।
कहते हैं ना कि जिसका दिल राजनीति और समाज सेवा में लगा हो वह नौकरी नहीं कर सकता। शायद यही वजह है कि राकेश ने वकालत और पत्रकारिता की डिग्री होने के बाद भी राजनीति को ही चुना। एबीवीपी के बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा में विभिन्न पदों पर रहे राकेश को 2017 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की उत्तर प्रदेश इकाई ने बेहद कम उम्र में प्रवक्ता जैसे बड़े दायित्व से नवाजा। न्यूज़ चैनलों पर धारदार बहस को देखते हुए एक बार फिर उन्हें प्रवक्ता बनाकर पार्टी की आवाज बना दिया है।
अपने राजनीतिक सफर के बारे में बताते हुए राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि “बचपन से ही राजनीति के माध्यम से समाज सेवा करने का जज्बा था। मोहल्ले के छोटे-छोटे कामों में आगे बढ़कर लीडरशिप लेना अच्छा लगता था। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही संघ की नीतियों से प्रभावित होकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ा और आज भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय योगदान दे रहा हूं। जब एक तरफ राजनीति में ऐसे दल हो जहां पारिवारिक पृष्ठभूमि ही आपकी योग्यता बन जाए वहां भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र दल है जहां बिना किसी पारिवारिक पृष्ठभूमि के किसी सामान्य व्यक्ति को पार्टी में काम करने का बड़ा मौका मिलता है।”
लोग सोचते होंगे कि एक युवा व्यक्ति राजनीति में कम उम्र में किसी बड़े ओहदे पर पहुंचकर कैसे अपना जीवन यापन करता होगा। इसलिए राकेश का जिक्र करते हुए उनकी पत्नी शुचिता त्रिपाठी का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है। शुचिता लखनऊ में प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका हैं। पत्नी को पता है कि पति का मन राजनीति में ही लगता है इसलिए घर चलाने का सारा जिम्मा उनकी पत्नी शुचिता त्रिपाठी ने खुद ही ले रखा है।