फिर से महात्मा गांधी हत्याकांड पर दाखिल हुई याचिका, 30 अक्टूबर को SC करेगा सुनवाई

फिर से महात्मा गांधी हत्याकांड पर दाखिल हुई याचिका, 30 अक्टूबर को SC करेगा सुनवाई

क्या महात्मा गांधी का कोई दूसरा हत्यारा भी था? वैसे पुलिस तो इस कहानी पर भरोसा करती है कि गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन क्या चौथी गोली भी थी जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाया था? ऐसे कई सवालों को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.फिर से महात्मा गांधी हत्याकांड पर दाखिल हुई याचिका, 30 अक्टूबर को SC करेगा सुनवाईअभी-अभी: Bigg Boss 11 में दाऊद के रिश्तेदार ने जुबैर खान का किया बड़ा खुलासा..!

सुप्रीम कोर्ट ने अब महात्मा गांधी हत्याकांड की फिर से जांच कराने की इस याचिका पर अब 30 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. इस मामले में पूर्व एएसजी अमरेंद्र शरण एमिकस क्यूरी होंगे. वहीं शुक्रवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कई सवाल किए. कोर्ट ने पूछा इस हत्याकांड में दो दोषियों को फांसी हो चुकी है और मामले से जुड़े तमाम लोग मर चुके हैं. ऐसे में इसका कानूनी औचित्य क्या होगा? कोर्ट ने पूछा‍ कि क्या इस मामले में कोई नया सबूत है ?

आपको बता दें कि यह याचिका अभिनव भारत, मुंबई के शोधकर्ता और ट्रस्टी पंकज फडनिस ने फाइल की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गांधी की मौत को इतिहास का सबसे बड़ा कवर-अप बताते हुए केस को दोबारा से खोलने की मांग की गई है.

याचिका में अनुरोध किया गया है कि नया जांच आयोग गठित करके गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा किया जाए. याचिका में गांधी की हत्या की जांच के बारे में भी सवाल उठाए गए हैं जिसमें कहा गया कि क्या यह इतिहास में मामला ढकने की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और क्या उनकी मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदार ठहराने का कोई आधार है या नहीं. 

अभिनव भारत मुंबई के शोधार्थी और डाक्टर पंकज फडनिस की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया कि वर्ष 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग साजिश का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा. यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई.

गांधी की हत्या को दोषियों को 15 नवंबर 1949 को फांसी पर लटकाया गया था जबकि सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ दिया गया. सावरकर से प्रेरित होकर अभिनव भारत, मुंबई की स्थापना 2001 में हुई थी और इसने सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए काम करने का दावा किया था.

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