बवाना उपचुनाव की तारीख घोषित होने के साथ दिल्ली में एक बार फिर सियासी जंग शुरू हो गयी है। चुनाव बेशक एक सीट है, लेकिन तीनों दलों के लिये यह बेहद अहम है। सीट पर दुबारा जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी (आप) एमसीडी चुनाव का दाग धोना चाहती है।
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वहीं, भाजपा के लिये यह साबित करने का मौका है कि आप ने दिल्ली में लोकप्रियता गयी है। कांग्रेस को जीत दर्ज कर विधान सभा में अपना खाता खोलना है। एमसीडी चुनाव से पहले आप विधायक वेद प्रकाश इस्तीफा देकर भाजपा के साथ चले गये थे।
इससे सीट खाली हो गयी थी। इसके बाद आप ने यहां दुबारा वापसी के लिये सघन अभियान चलाया। सबसे पहले पार्टी ने रामचंद्र को उम्मीदवार बनाया। वहीं, पिछले करीब दो महीनों में विधान सभा के पूरे संगठन का पुनगर्ठन किया है।
पार्टी ने तेज किया प्रचार अभियान
विधान सभा उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद पार्टी इस सीट पर प्रचार अभियान तेज करने जा रही है। दिल्ली देहात की इस सीट के गांवों से पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक व दिल्ली सरकार के मंत्री अपने सीधी बात कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहे हैं। मिशन स्मार्ट गांव अभियान के तहत गांवों में पंचायत लगायेंगे। इस दौरान गांवों में बश्ेहतर सुवधाओं देने की योजना तैयार की जायेगी।
इससे पहले दिल्ली सरकार घोषणा कर चुकी है कि दिल्ली के हर गांव के विकास के लिये सरकार हर साल दो करोड़ रुपये का फंड देगी। वहीं, विलेज डवलपमेंट बोर्ड का भी पुनर्गठन किया है। अब इस फंड के सहारे गांवों को स्मार्ट बनाने का सरकार ने ऐलान किया है। इसके लिये लोगों से बात की जायेगी।
केजरीवाल की सीधी नजर
एमसीडी चुनाव में मनमाफिक नतीजा न मिलने के बाद अब आप इस सीट को गंवाना नहीं चाहती। तभी बवाना उपचुनाव पर अरविंद केजरीवाल की सीधी नजर है। वे कई बार बवाना का दौरा कर चुके हैं। जनता के बीच जाकर वेद प्रकाश की धोखे की बात करते हैं।
जुलाई के पहले हफ्ते में भी वह बवाना गये थे। इस दौरान उन्हें टूटी सड़कों और पानी से भरे गढ्डों से गुजरना पड़ा था। लोगों की शिकायत थी कि उनके इलाके का विकास नहीं हुआ है। इस पर केजरीवाल ने कहा कि रामचंद्र के जीतने के बाद एक महीने में सड़कें बननी शुरू हो जाएंगी। मुख्यमंत्री ने बवाना के अखाड़ों का भी दौरा किया।
बवाना विधानसभा
जिला : उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली
राज्य : दिल्ली
सीट : आरक्षित
अब तक ये रह चुके विधायक
सन —- सदस्य —- पार्टी
2015 —- वेद प्रकाश —- आम आदमी पार्टी
2013 —- गुगन सिंह —- भाजपा
2008 —- सुरेंद्र कुमार —- कांग्रेस
2003 —- सुरेंद्र कुमार —- कांग्रेस
1998 —- सुरेंद्र कुमार —- कांग्रेस
1993 —- चांद राम —- भाजपा
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