ऐसा माना जा रहा है कि इस बार का वित्त मंत्री अरुण जेटली का बजट लोकलुभावन होगा. लोगों को इस बार सबसे ज्यादा उम्मीद इस बात की है कि वह पर्सनल इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाएंगे और कुछ ज्यादा आशावादी लोगों को लगता है कि यह इस बार 5 लाख रुपये तक की जा सकती है.
वैसे तो 5 लाख रुपये तक छूट सीमा करने की उम्मीद पिछले कई बजट से लोग लगाए बैठे हैं, लेकिन वित्त मंत्री को आखिर देश के विकास के लिए पैसा भी जुटाना होता है, इसलिए यह आस पूरी नहीं हो पा रही है. हालांकि वित्त मंत्री ने अगर इस बार छूट सीमा मौजूदा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये भी कर दी, तो मध्यम आय वर्ग, खासकर वेतनभोगी वर्ग को काफी राहत मिल जाएगी.
75 लाख लोगों को मिलेगा फायदा
आर्थिक सर्वे से यह संकेत मिलता है कि अगले महीनों में महंगाई बढ़ सकती है, इसे देखते हुए मध्यम वर्ग को वास्तव में इस तरह के राहत की जरूरत है. एसबीआई इकोरैप की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अगर इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ी तो इससे करीब 75 लाख लोगों को फायदा हो सकता है. ‘यूनियन बजट: इफ विशेज वेय हॉर्सेज!’ शीर्षक की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की वजह से तमाम कर्मचारियों के पास हर महीने बचने वाली रकम बढ़ गई है. इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि अब कर छूट की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर देना चाहिए. ऐसा हुआ तो इससे 75 लाख करदाताओं को फायदा होगा.’
तीन लाख हुई कर छूट सीमा तो इतनी होगी बचत
फिलहाल पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए कर देने से छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये सालाना आय तक है. हालांकि आयकर की धारा 87ए के तहत मिलने वाली छूट की वजह से 50 हजार अतिरिक्त यानी कुल 3 लाख रुपये की सालाना आय पर अभी टैक्स नहीं देना पड़ता. इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट क्लियर टैक्स के अनुसार छूट की सीमा बढ़ाकर वैसे ही यदि 3 लाख रुपये कर दी गई, तो 3.5 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय वाला हर व्यक्ति सालाना 2,500 रुपये तक बचा सकता है.
टैक्स स्लैब में भी बदलाव की उम्मीद
जानकार इसके अलावा कर लगने के दायरे यानी यानी टैक्स स्लैब को भी तर्कसंगत बनाने की मांग कर रहे हैं. कई जानकारों का कहना है कि सरकार को 10 लाख से 20 लाख के बीच का एक नया टैक्स ब्रैकेट तय करना चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि उदारीकरण के बाद निजी और सरकारी, दोनों सेक्टर की नौकरियों में वेतन में काफी इजाफा हुआ है. इसे देखते हुए वेतनभोगी लोगों को ऐसे स्लैब से राहत दी जा सकती है.
क्लियरटैक्स के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता बताते हैं, ‘अगर 10 से 20 लाख रुपये की आय वर्ग के लिए 20 फीसदी और 5 से 10 लाख आय वर्ग के लिए 10 फीसदी की टैक्स दर तय कर दी जाए तो 10 लाख रुपये की इनकम वाले व्यक्ति की टैक्स देनदारी आधी हो जाएगी और 20 लाख से ज्यादा कमाने वाला व्यक्ति सालाना 50,000 रुपये के अतिरिक्त 10 लाख से ऊपर वाले आय पर टैक्स देनदानी के एक-तिहाई तक की बचत कर सकेगा.’