इस्लाम की विभिन्न विचारधाराओं में तीन तलाक को ‘वैध’ बताया गया है, लेकिन यह शादी खत्म करने का सबसे घटिया तरीका है। ये बातें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर की अगुआई में पांच सदस्यीय बेंच ने सुनवाई के दौरान कही।
सीनियर वकील सलमान खुर्शीद ने बेंच को कहा कि इस मुद्दे की न्यायिक समीक्षा की जरूरत नहीं है क्योकि मुस्लिमों की शादी के निकाहनामे में एक शर्त डालकर महिलाएं तीन तलाक को ना भी कह सकती हैं।
कोर्ट ने खुर्शीद से उन इस्लामिक और गैर इस्लामिक देशों की सूची देने के लिए कहा, जहां तीन तलाक पर बैन लगाया गया है। पांच सदस्यीय बेंच को यह भी बताया गया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मोरक्को, सऊदी अरब जैसे देश में शादी खत्म करने के तरीके के लिए तीन तलाक की मान्यता नहीं है।
सीनियर वकील राम जेठमलानी ने इस प्रथा की कठोर शब्दों में आलोचना की और तीन तलाक को ‘घृणित’ बताते हुए कहा कि यह महिलाओं को तलाक का समान अधिकार नहीं देता। कोर्ट ने यह भी कहा, ‘तीन तलाक का अधिकार सिर्फ पुरुषों के पास है, महिलाओं को नहीं। यह संविधान के बराबरी के अधिकार से जुड़े आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।’