कुछ दिन पहले बॉलीवुड की नामचीन एक्ट्रेस और मां के किरदार निभाने के लिए मशहूर रीमा लागू की कार्डियक अरेस्ट से मौत की खबर आई तो देश में फिर ये चर्चा होने लगी है कि पिछले कुछ समय से इस तरह से मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. इसलिए आपको भी ये जान लेना चाहिए कि आखिर ये बला है क्या…
क्या होता है कार्डियक अरेस्ट
कार्डियक अरेस्ट का मतलब है अचानक अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्सा नहीं है इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है.
दिल के दौरे से है अलग
लोग अक्सर इसे दिल का दौरा पड़ना समझते हैं. मगर ये उससे अलग है. जानकार बताते हें कि कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल शरीर के चारों ओर खून पंप करना बंद कर देता है. मेडिकल टर्म में कहें तो हार्ट अटैक सर्कुलेटरी समस्या है जबकि कार्डियक अटैक, इलेक्ट्रिक कंडक्शन की गड़बड़ी की वजह से होता है.
दिल में दर्द के मायने
सीने में अगर दर्द हो जरूरी नहीं कि वो दिल का दौरा पड़ने के दौरान ही हो रहा हो. डॉक्टर्स के मुताबिक, ऐसा हार्ट बर्न या कार्डियक अटैक के कारण भी हो सकता है.
क्यों है खतरनाक
कार्डियक अरेस्ट में दिल का ब्लड सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद हो जाता है. दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो जाने से इसका असर दिल की धड़कन पर पड़ता है. इसलिए कार्डियक अरेस्ट में कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है.
क्या होते हैं लक्षण
कार्डियक अरेस्ट वैसे तो अचानक होता है. हालांकि जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका ज्यादा होती है. कभी-कभी कार्डियक अरेस्ट से पहले छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी, पल्पीटेशन, चक्कर आना, बेहोशी, थकान या ब्लैकआउट हो सकता है.
कैसे होता है इलाज
इसके इलाज के लिए मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी दिल की धड़कन को रेगुलर किया जा सके. इसके मरीजों को ‘डिफाइब्रिलेटर’ से बिजली का झटका देकर हार्ट बीट को रेगुलर करने की कोशिश की जाती है.
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