भारत में वैसे तो नृत्य की कितनी ही विधाएं प्रचलित हैं, लेकिन कथक की बात ही जुदा है. इसे क्लासिकल नृत्य की विधा में सबसे ऊपर माना जाता है. सितारा देवी इसी विधा की मल्लिका के रूप में मशहूर थीं. वह साल 2014 में 25 नवंबर के रोज दुनिया से रुखसत हुई थीं. इनक जन्म 8 नवम्बर, 1920 को कोलकाता में हुआ था. बचपन का नाम धनलक्ष्मी था. प्यार से धन्नो बुलाया जाता था.बॉलीवुड की ये डायरेक्टर जूझ रही है कैंसर की बीमारी से, दूसरों की मदद से हो रहा इलाज
जन्म के वक्त सितारा देवी का मुंह टेढ़ा था. इस वजह से माता-पिता ने उन्हें एक दाई को सौंप दिया था. दाई ने उनकी परवरिश की. कहते हैं कि जन्म के 8 साल बाद सितारा देवी के माता-पिता ने उन्हें पहली बार देखा था.
सितारा देवी के जन्मदिन के मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. मशहूर कथिक के जन्मदिन के मौके पर हम सितारा देवी के बारे में चुनिंदा जानकारी दे रहे हैं.
1. 16 साल की उम्र में उनकी प्रस्तुति से प्रभावित होकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें नृत्य समरागिनी कहा.
2. वह 10 साल की उम्र से ही मंच पर एकल नृत्य प्रस्तुति देती रही हैं.
3. उन्होंने नृत्य को बॉलीवुड के भीतर जगह दिलाने में अहम भूमिका निभायी.
4. 1967 में लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल एल्बर्ट हॉल और न्यूयॉर्क के कैनेंगी हॉल के अलावा कई देशों में अपनी कला का मंचन किया.
5. साल 1969 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी और 1973 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया.
6. उन्होंने पद्म विभूषण पुरस्कार लेने से इंकार करते हुए कहा कि ये सम्मान नहीं अपमान है. वह प्रशिक्षण से खुद को सिर्फ कृष्ण लीला की कहानियों की कथाकार मानती थीं.