Dr. Naela Quadri Baloch freedom fighter from Balochistan during a interaction with media in Chandigarh on Thursday, April 21 2016. Express photo by Jaipal Singh

बलूचिस्तान आजाद हुआ तो पहली मूर्ति मोदी की लगेगी

वाराणसी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्‍त पर बलूचिस्‍तान का जिक्र कर वहां के हीरो बन चुके हैं। उन्‍होंने जो योगदान बलूचिस्‍तान के लिए दिया है वो वहां के लोगों के लिए बड़ी बात है। यह कहना है कि बलूचिस्तान में लंबे समय से चल रहे बलोच आंदोलन की अगुआ नायला कादरी का।

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रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नायला कादरी ने उनके योगदान को जमकर सराहा। उन्‍होंने कहा कि अगर हम आजाद हुए तो वहां पहली मूर्ति पीएम मोदी की लगेगी।

वाराणसी में संस्कृति संसद के दूसरे दिन नायला कादरी ने कहा कि अगर भारत सरकार ने अनुमति दी तो बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार का गठन वाराणसी में में ही किया जाएगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बलूचिस्तान के हीरो हैं।
हम बलोच एक कटोरे पानी के बदले में सौ साल की वफा देते हैं। बलूचिस्तान आजाद हुआ तो वहां पहली मूर्ति नरेन्द्र भाई की लगेगी। हमने जान देकर अब तक सहेजा है माता हिंगलाज महारानी के मंदिर को। आप हमें सहेज लें, गुजारिश है।
बलूचिस्तान आजाद होता है तो वहाँ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिमा लगेगी। सत्तर सालो में पहली बार भारत में किसी ने बलूचिस्तान की आजादी की बात की है वहा पाकिस्तान की ओर से हो रहे अत्याचार की बात की है। शुक्रिया काशी वासियों इस बात के लिए कि आपने ऐसा सांसद चुनकर पार्लियामेंट में भेजा।
हिंगलाज भवानी का मन्दिर है बलूचिस्तान में जहां हिन्दू आते हैं मगर हिफाजत हम बलूचिस्तानी भी उसी भाव से करते हैं। जिस दिन बलूचिस्तान आजाद हुआ भारत के लोगों को वीजा की जरूरत नही होगी। बलूचिस्तानियों के लिए भारतीय प्रधान मंत्री हीरो हैं, हमें जो कामयाबी भारत में मिली वह यकीनन उम्मीद से अधिक है।
संस्कृति संसद के दूसरे दिन काशी में बलूच नेताओ ने पाकिस्तान में ब्लूचिस्तानियों संग हो रहे अत्याचारों की दास्तान सुनाई। पाकिस्तानी सियासत की उपेक्षा और सेना के द्वारा किये जा रहे जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए विश्व बलूच महिला मंच की अध्यक्ष प्रो. नायला कादरी बलोच और बलोच आन्दोलनकारी मीर मजदक दिलशाद खान ने वहाँ की जमीनी हकीकत को सामने रखा। संस्कृति संसद के मंच पर पहला सत्र बलूच समस्या पर आधारित था।

 

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