पर्यावरण से जुड़े महाकुंभ COP29 में भारत समेत लगभग 200 देश हिस्सा ले रहे हैं। इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों के लिए जलवायु वित्त का नया लक्ष्य तय करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें पेरिस समझौते के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक तापमान की वृद्धि को सीमित करने पर भी चर्चा की जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र का दो सप्ताह का जलवायु सम्मेलन कॉप-29 सोमवार से अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हो रहा है। पर्यावरण से जुड़े इस महाकुंभ में भारत समेत लगभग 200 देश हिस्सा ले रहे हैं। इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों के लिए जलवायु वित्त का नया लक्ष्य तय करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
साथ ही इसमें पेरिस समझौते के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक तापमान की वृद्धि को सीमित करने और विकासशील देशों के लिए समर्थन जुटाने पर भी चर्चा की जाएगी।
पीएम मोदी नहीं लेंगे हिस्सा
भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी अनुपस्थित रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह 19 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। सम्मेलन में भारत को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए 18-19 नवंबर का समय दिया गया है।
ऊर्जा स्त्रोतों के समतापूर्ण परिवर्तन का लक्ष्य पाना होगा
विशेषज्ञों के मुताबिक, सम्मेलन में भारत की प्रमुख प्राथमिकताएं जलवायु वित्त पर विकसित देशों की जवाबदेही सुनिश्चित करने और ऊर्जा स्त्रोतों के समतापूर्ण परिवर्तन का लक्ष्य प्राप्त करना होंगी। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआइ) के विशेषज्ञ इस वर्ष के शिखर सम्मेलन से चार प्रमुख परिणामों की उम्मीद कर रहे हैं- नया जलवायु वित्त लक्ष्य, मजबूत राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं के प्रति तेजी, पिछले वादों पर ठोस प्रगति और नुकसान व क्षति के लिए अधिक धनराशि।
सम्मेलन की सफलता का सबसे बड़ा मापदंड यह होगा कि क्या वार्ताकार एक नए जलवायु वित्त लक्ष्य पर सहमत हो पाते हैं जो वास्तव में विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करता हो। 2009 के सम्मेलन में विकसित देशों द्वारा 2020 तक प्रतिवर्ष 100 अरब डालर की प्रतिबद्धता जताई गई थी, लेकिन यह लक्ष्य सिर्फ एक बार 2022 में पूरा किया गया। भारत इस सम्मेलन में इस धनराशि को बढ़ाने की मांग करेगा। भारत ने विकसित देशों की ओर से विकासशील देशों के लिए प्रतिवर्ष एक लाख करोड़ डालर का प्रस्ताव किया है, जबकि विभिन्न अन्य देशों एवं ग्रुपों ने इस राशि को 1.3 लाख करोड़ डालर तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।
तालिबान पहली बार लेगा हिस्सा
वर्ष 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान पहली बार संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में भाग लेगा। तालिबान को फिलहाल अफगानिस्तान के वैध शासक के रूप में आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है। अफगानिस्तान की राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि एक तकनीकी प्रतिनिधिमंडल सम्मेलन में भाग लेने के लिए बाकू गया है।
एजेंसी के प्रमुख मतिउल हक खलीस ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल इस सम्मेलन का उपयोग पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग को मजबूत करने और जलवायु अनुकूलन प्रयासों पर चर्चा के लिए करेगा।