केंद्रीय पेयजल राज्य मंत्री और दार्जिलिंग के बीजेपी सांसद एस एस अहलूवालिया एक दिन बाद दार्जिलिंग जाने वाले है, जहा उन्हें 17 फरवरी को सिलीगुड़ी में पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटन करना है. ऐसे में ठीक उनके दौरे से पहले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की नई लीडरशिप ने तत्काल इस्तीफा देने की मांग उठी है. जीजेएम ने अहलूवालिया को ‘टूरिस्ट सांसद’ कहते हुए अहलूवालिया पर कई गंभीर आरोप लगाए है. 
जीजेएम के नए अध्यक्ष और गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के चेयरमैन बिनय तमांग ने एक बयान में कहा, ‘हमने ये सुना है कि हमारे टूरिस्ट सांसद एस एस अहलूवालिया क्षेत्र में 8 महीने बाद आ रहे हैं. जब पहाड़ के लोगों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तो वे दिल्ली में मूकदर्शक बन कर बैठे रहे. ऐसे में वह पहाड़ों पर लौटने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं.’ एक समय 2014 लोकसभा चुनाव में जीजेएम के समर्थन से दार्जिलिंग में जीत हासिल करने वाले अहलूवालिया ने के खिलाफ जीजेएम ने खुली बगावत कर दी है. तमांग ने अहलूवालिया के दौरे का विरोध करते हुए कहा है कि इस तरह की पहल से पहाड़ों में लोगों को कोई लाभ नहीं होगी.
तमांग ने कहा, ‘दार्जिलिंग के लोगों ने उन्हें सांसद बनाया, और इसी के चलते वो मंत्री भी बन गए, लेकिन उन्होंने यहां के लोगों के लिए कुछ नहीं किया. आंदोलन के सारे दिनों में उन्होंने खुद को दिल्ली में व्यस्त रखा. उन्होंने क्षेत्र में शांति लाने के लिए अपने लोगों से एक बार भी बात नहीं की.’ तमांग ने कहा, ‘वो पेयजल के मंत्री हैं, इसके बावजूद उनका क्षेत्र पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहा है.’ भी हैं. तमांग ने कहा है कि अहलूवालिया बिना शर्त माफी मांगें. तमांग ने सासंद को चेतावनी के लहजे में कहा, ‘यहां वापस आने की जगह वो इस्तीफा दें और माफी मांगे. अन्यथा वो दार्जिलिंग आने पर विरोध का सामना करने के लिए तैयार रहें.
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