जापान में खाने का निमंत्रण मिले, तो जरूर जाएं और खाना पसंद आने पर होस्ट का मनोबल ‘ऊईशी नेह’ कहकर बढ़ाएं। आपके होस्ट को यह अच्छा लगेगा।
खाने के टेबल पर अक्सर बड़ों से यह सुनने को मिलता है कि खाना चुपचाप खाना चाहिए। अगर खाना खाते हुए आपके मुंह से आवाज आए, तो आपको तमीज से खाने की हिदायत दे दी जाती है। किसी स्वादिष्ट डिश को आप सूड़प कर के खाएं, तो लोगों की नजरों में आ जाते हैं। लेकिन आपको यह बताया जाए कि किसी देश में स्लर्पिंग करना अच्छा होता है, तो क्या कहेंगे?
खाने के टेबल पर अक्सर बड़ों से यह सुनने को मिलता है कि खाना चुपचाप खाना चाहिए। अगर खाना खाते हुए आपके मुंह से आवाज आए, तो आपको तमीज से खाने की हिदायत दे दी जाती है। किसी स्वादिष्ट डिश को आप सूड़प कर के खाएं, तो लोगों की नजरों में आ जाते हैं। लेकिन आपको यह बताया जाए कि किसी देश में स्लर्पिंग करना अच्छा होता है, तो क्या कहेंगे? दरअसल, जापान एक ऐसा देश है, जहां शिष्टाचार को सबसे ऊपर रखा जाता है। अपने शिष्टाचार और कोमल व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाले राष्ट्र में यह एक अजीब सांस्कृतिक आदत है, जो वहां के रूढ़िवादी दृष्टिकोण के विपरीत है। ‘सोबा नूडल्स’, जिसे जापान में बड़े चाव से खाया जाता है, के स्वादिष्ट होने का अंदाजा तभी लगता है, जब तक आप उसे खाते हुए जोर से सुड़प की आवाज न निकालें। माना जाता है ऐसा करना होस्ट के खाने की तारीफ करना होता है। ऐसा न करना अपने होस्ट की बेइज्जती करना होता है।
खाने के समय स्लर्प की आवाज करना यह भी जाहिर करता है कि खाने वाले को भोजन पसंद आया। स्लर्प की आवाज के साथ ‘ऊईशी नेह!’ कहना और भी अच्छा माना जाता है। यह खाना बनाने वाले होस्ट को प्रोत्साहित करता है। साथ ही अच्छा खाना बनाने के लिए उसके मनोबल को बढ़ावा देता है। कुछ लोग मस्ती-मजाक में जोर-जोर से खाने में आवाज निकालते हैं, लेकिन जापान में इसे खराब नहीं, बल्कि अच्छा माना जाता है।
बच्चों के मन के अनुसार खाना बन जाने पर वह और खुश होकर ‘ऊईशी नेह’ चिल्लाते हैं। भले ही कहीं-कहीं खाते समय आवाज निकालना अच्छा नहीं माना जाता, लेकिन जापान में अगर लोगों को इससे खुशी मिलती है, तो यह वाकई अच्छी आदत है।
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