एबोट अब कोलपैक डील के तहत इंग्लिश काउंटी क्लब हैम्पशायर के लिए खेलेंगे। काफी टाइम से यह खबर थी की एबॉट इंग्लैंड जा सकते है, मगर डु प्लेसी के बयान के बाद इस बात पर मुहर लग गई कि एबॉट और बोर्ड के बीच बातचीत बेनतीजा रही।
कोलपैक अनुबंध के तहत जो मुल्क युरोपियन युनियन देशों में शामिल हैं, वो उन देशों के लिए घरेलु क्रिकेट खेल सकते हैं। दक्षिण अफ्रीका, जमैका और जिंबाब्वे का युरोपियन युनियन के साध अनुबंध है। हालांकि इस डील के बाद क्रिकेटर अपने देश के लिए क्रिकेट नहीं खेल पाते।
काउंटी क्रिकेट के नियमों के तहत, केवल एक ही विदेशी खिलाड़ी टीम में शामिल हो सकता है। कोलपैक खिलाड़ियों को विदेशी नहीं माना जाता। इन तीनों मुल्कों के कई खिलाड़ियों ने इस डील का फायदा उठाया है और अब एबॉट भी इस सूची में शामिल होने वाले हैं।
दरअसल दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत खिलाड़ियों के लिए आरक्षण की नीती के चलते एबॉट अंतरराष्ट्रीय मंच से अंदर-बाहर होते रहे हैं। एबॉट को वर्ल्डकप 2015 के सेमीफाइनल से बाहर रखा गया और यह टीम की हार का कारण भी बना।
अब एबॉट ने कहा है कि फरवरी में उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए 4 साल हो जाएंगे। कोटा सिस्टम उनके लिए कोई बहाना नहीं है। उन्हें अपने बच्चों को पालना है और बिल भरने हैं। इसलिए अब पैसा कमाने के लिए वो काउंटी की ओर रुख कर रहे हैं।
गौरतलब है कि काउंटी में मोटा पैसा मिलता है। हैंपशियर के लिए खेलते हुए एबॉट 1 लाख पाउंड (करीब 85 लाख रुपए) सालाना कमा सकते हैं, जो क्रिकेट साउथ अफ्रीका के अनुबंध से कहीं ज्यादा है। एबॉट ने साउथ अफ्रीक के लिए 10 टेस्ट, 28 एकदिवसीय और 21 टी20 अंतर्राष्ट्रीय खेले हैं।