केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को खारिज कर दिया है। लेकिन अभी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे की मांग लगातार कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग खारिज किए जाने के बाद जदयू बैकफुट पर आ गई है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब नई रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं और पार्टी संगठन को मजबूत करने में जुट गए हैं। वह यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर स्तर पर सहयोग दिया जा रहा है पर बदले में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।
नीतीश केंद्र सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं। साथ ही राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग भी जोरशोर से उठा रहे हैं। नीतीश राज्य की जनता को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह केंद्र की हरसंभव मदद कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर रही है। यह संदेश जनता के बीच नीतीश कुमार की ईमानदार और विकास-उन्मुख नेता की छवि को मजबूत करता है, जबकि केंद्र सरकार को जवाबदेही के दायरे में लाता है।
लोकसभा चुनाव में जदयू की सफलता ने पार्टी को मोलभाव की ताकत दी है। पार्टी इसका इस्तेमाल विशेष राज्य के दर्जे की मांग के लिए कर रही है। जदयू की इस मांग का समर्थन एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी किया है। इससे इस मुद्दे पर राजनीतिक एकजुटता दिखी है। नीतीश और जदयू के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस मुद्दे को व्यापक राजनीतिक एजेंडा के रूप में पेश करें और इसे राज्य के विकास और स्वाभिमान से जोड़कर जनता का समर्थन हासिल करें।
लालू बोले-मुख्यमंत्री इस्तीफा दें
केंद्र से मांग खारिज होने पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सीएम नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। लालू ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नीतीश कुमार ने सत्ता की खातिर बिहार की आकांक्षाओं और अपने लोगों के विश्वास से समझौता किया है।
उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का वादा किया था, लेकिन अब जब केंद्र ने इससे इन्कार कर दिया है तो उन्हें (नीतीश को) इस्तीफा दे देना चाहिए। बता दें कि जदयू लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है।