बिहार के कई जिलों के आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चे व बच्चियों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है। वे गुलामों की जिंदगी जी रहे हैं। यौन शोषण के अलावा उन्हें अन्य गंदी हरकतों का सामना करना पड़ रहा है। कई अल्पवास गृह की स्थिति भी बदतर है। लड़कियों को सेनेटरी नैपकिन तक नहीं दी जाती।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस्स) की “कोशिश टीम” ने बाल व बालिका गृह व अल्पावास गृह के घिनौने चेहरे को सामने ला दिया है। मुजफ्फरपुर में सेवा संकल्प व विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह की स्थिति सबसे खराब बताई गई। टीम की रिपोर्ट के अनुसार “निर्देश” द्वारा मोतिहारी में संचालित बाल गृह में बच्चों को यहां के कर्मचारी द्वारा पीटा जाता है। बड़े बच्चों को छोटे बच्चों के बीच रखा जाता है। ये आपस में गाली-गलौज व मारपीट करते हैं।
रिपोर्ट के बाद इन बालिकाओं का मेडिकल करवाया गया है जिनमें 44 में से 3 गर्भवती पाई गई हैं। मामला सामने आने के बाद निर्देशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर हिरासत में ले लिया गया है। दावा यह भी है कि इस पूरे कांड में कुछ बड़े नाम शामिल हो सकते हैं।
इस मामले में नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा है, मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में सुशील मोदी और नीतीश कुमार गंभीर चुप्पी क्यों साधे हुए है?किन-किन मंत्रियों व सरकारी अधिकारियों के यहां नाबालिग लड़कियों को भेजा जाता था, ये खुलासा करने मे किसका डर है? इसलिए की सत्ताधारी दलों के दिग्गज नेताओं के नाम सुनने मे आ रहे है