बिहार में ज्यादातर लोगों ने कल ही कर दी थी गोवर्धन पूजा, जानिये ऐसा क्यों

देश के ज्यादातर हिस्सों में गोवर्धन पूजा मंगलवार को हो रही है। बिहार में ज्यादातर ने सोमवार को ही यह पूजा कर ली। वैसे, बिहार में कुछ लोग आज पूजा भी करेंगे। बाकी, राजनीति भी आज ही होगी इसपर। कौन करेंगे पूजा, कौन राजनीति… जानें सबकुछ।

गोवर्धन पूजा मुख्य रूप से गौ-पालकों का त्योहार है। बिहार की जातीय जनगणना में पारंपरिक गौ-पालक, यानी यादव जाति के लोगों की आबादी सबसे ज्यादा 14 प्रतिशत सामने आयी थी। इसलिए, गोवर्धन पूजा कब है?- यह सवाल बिहार में खूब मौजूं है। लेकिन, आश्चर्य कि जहां देश के ज्यादातर हिस्सों में गोवर्धन पूजा मंगलवार को हो रही है, वहीं बिहार के ज्यादातर यादवों ने पारंपरिक रूप से दीपावली के अगले दिन सोमवार को ही पूजा कर ली। यादव जाति में भी जो वास्तविक रूप से गौ-पालक बचे हैं और शेष जातियों में जो लोग गौ-पालन करते हैं, वह आज भी या आज ही पूजा कर रहे हैं। इसके साथ ही राजनीतिक रूप से जाग्रत बिहार में गोवर्धन पूजा की राजनीति भी आज ही हो रही है।

पंडित नहीं, परंपरा पर चलते हैं बिहार में यादव
बिहार में सबसे बड़ी आबादी यादवों की है, यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census) के साथ तय हो चुका है। ऐसे में यादवों के लिए विशेष रूप से सबसे महत्वपूर्ण त्योहार गोवर्धन पूजा का बिहार में महत्व समझा जा सकता है। जब बात सामने आयी कि कर्मकांड विशेषज्ञ पंडितों ने मंगलवार को गोवर्धन पूजा का समय निर्धारित किया है तो इस पर  यादव जाति के कई लोगों से बात की। इस बातचीत में सामने आया कि अब जो यादव गौ-पालन कर रहे हैं, वही थोड़ा संशय में हैं। बाकी ने सोमवार को ही पूजा कर ली, क्योंकि दीपावली के अगले दिन यह पूजा करने की परंपरा रही है। यादव जाति पर लंबे समय से काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र यादव कहते हैं- “पंडित नहीं, परंपरा के हिसाब से यह पूजा सोमवार को ही कर ली गई। संभव है कि कुछ लोग मंगलवार को करेंगे। वैसे, मंगलवार को बिहार में गोवर्धन पूजा पर राजनीति के लिए ही महत्वपूर्ण कहना अनुचित नहीं होगा।”

कौन-क्या करेंगे आज, पहले जानें पंडितों की बात
पंडित शशिकांत मिश्र कहते हैं- “गौ माता के शरीर में कई देवताओं का वास होता है। गौ को विष्णु और कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। गौ-पालक, चाहे किसी भी जाति के हों- यह पूजा करते हैं। इसके अलावा जिनकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, वह भी गोवर्धन पूजा करते हैं क्योंकि इसका फलाफल भगवान विष्णु से प्राप्त होता है और कृष्ण तो विष्णु के ही अवतार हैं। यह आस्था का सवाल है। वैसे, जहां तक दिन की बात है तो सोमवार को दो बजे दिन तक अमावस्या रहने के कारण उदय तिथि के अनुसार प्रतिपदा मंगलवार को है। जो उदय तिथि से चलेंगे, वह मंगलवार को गोवर्धन पूजा मानेंगे। जो पारंपरिक रूप से दीपावली के अगले दिन करते आए हैं, उन्होंने सोमवार को ही कर ली यह पूजा। जो मंगलवार को करेंगे, वह दोपहर 2:37 तक ही संपन्न कर लें। इस समय अनुराधा नक्षत्र औश्र शोभन योग है।” बिहार में इस दिन मंदिरों की जगह गौशालाओं या गौ-पालकों के घर में आयोजन होता है। गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पीले फूल, अक्षत, चंदन आदि से उसकी पूजा होती है। गायों को नहाकर उनका शृंगार किया जाता है। उन्हें उनकी पसंद का भोजन कराया जाता है। जो गौ-पालन नहीं करते, वह भी गायों की पूजा करने ऐसी जगहों पर पहुंचते हैं।

सबसे बड़े जाति समूह को साथ लाने का प्रयास
बिहार की जातीय जनगणना के आंकड़ों पर सवाल उठाने के समानांतर ही सबसे बड़े जाति समूह यादवों को अपने साथ लाने की जुगत भी चल रही है। बिहार की महागठबंधन सरकार में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बहुत प्रभावी हैं, यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी मुलाकातों से साफ हो जाता है। इसके अलावा लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री हैं। लालू ने यादवों की राजनीति ही की है, इसलिए महागठबंधन सरकार पर इस जाति का स्पष्ट प्रभाव भी है। इस प्रभाव को अपने साथ लाने का प्रयास बिहार की मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी कर रही है। मंगलवार को पटना के बापू सभागार में भाजपा ने यादव मिलन समारोह रखा है, जिसमें 15 हजार यदुवंशियों को एक साथ भाजपा में शामिल कराए जाने का दावा है।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com