बीजेपी इन नेताओं को भेज सकती है विधान परिषद
राजीव श्रीवास्तव
लखनऊ: यूं तो पिछले 6 सालों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व द्वारा लिए गए निर्णय किसी भी टी-20 मैच के निर्णय जैसे ही होते हैं। मतलब अंत तक पता नहीं चलता कि निर्णय होगा क्या। फिर भी राजनैतिक पार्टी के चरित्र के अनुसार, कार्यकर्ता और नेता कयासों को लगाए बिना नहीं रहते हैं।
फिलहाल बीजेपी में आजकल एमएलसी चुनाव के प्रत्यासियों को लेकर कयासों का बाजार गरम हैं। हो भी क्यूँ ना, नई बीजेपी हर किसी को अपनी उम्मीद रहती है और कोई अपनी दावेदारी दमखम से रखता भी है।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 12 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होने की अधिसूचना चुनाव आयोग जारी की है। कुल 11 सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी, 2021 को खत्म हो रहा है वहीं बारहवी सीट का चुनाव नसीमउद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता रद्द होने के चलते हो रहा है।
कुल 100 सदस्यीय विधान परिषद में 55 सीटों पर समाजवादी पार्टी के सदस्यों का कब्जा है तो 25 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी से 8 सदस्य हैं, काँग्रेस से 2, अपना दल से 1, शिक्षक दल (गैर राजनैतिक) से 1, निर्दलीय समूह से 2, निर्दल 3 वहीं 3 सीटें रिक्त हैं।
वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो इस चुनाव से सबसे अधिक फायदा बीजेपी को होना लगभग तय है। कुल 12 सीटों में से 10 सीटों पर बीजेपी सीधे तौर पर निर्विरोध अपने प्रत्याशियों को जिताने में सफल हो सकती है। यह जीत बीजेपी के लिए बड़ी जीत होगी क्यूंकी विधान सभा में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद परिषद में बहुमत से दूर है। ऐसे में दस सीटों पर जीत से बीजेपी बहुमत के काफी करीब हो जाएगी और उसकी संख्या 35 हो जाएगी। वहीं समाजवादी पार्टी को सबसे अधिक नुकसान उठान पड़ सकता है।
इन 11 सदस्यों में 6 सदस्य समाजवादी पार्टी से हैं तो तीन सदस्य भाजपा से हैं और दो सदस्य बहुजन समाज पार्टी से हैं। नसीमउद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता बीएसपी से थी पर उन्होंने बाद में काँग्रेस की सदस्यता ले ली थी। चुनाव बाद जानकारों का मानना है की बीजेपी को सबसे अधिक सात सीटों का फायदा होगा तो समाजवादी पार्टी को सबसे अधिक कम से कम 5 सीटों का नुकसान होगा वहीं बीएसपी को अगर नसीमउद्दीन के सीट भी गिन लिया जाए तो कम से कम दो सीटों का नुकसान होगा।
ऐसे में माना जा रहा है की बीजेपी अपने तीन प्रत्याशी जिनका कार्यकाल 30 जनवरी को खत्म हो रहा है दोबारा परिषद में भेज सकती है। इन तीन सदस्यों में उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और वाराणसी निवासी भाजपा विधान परिषद दल के नेता लक्ष्मनचार्य शामिल हैं।
भारतीय जनता पार्टी में कयासों का बाजार 7 सीटों को लेकर खास गर्म है। ऐसे में माना जा रहा है की पार्टी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के उस निर्णय को दोबारा अमल में ला सकती है जिसके अनुसार क्षेत्रीय अध्यक्षों को एमएलसी बनाया जाना था। शाह का मानना है की क्षेत्रीय अध्यक्षों को कई जिलों में भ्रमण करना होता है ऐसे में उनका एमएलसी होना उनके भ्रमण को सुगम बनाता है। अगर इस फॉर्मूले को दोबारा अमल में लाया जाता है तो कानपुर-बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, ब्रिज क्षेत्र से रजनीकान्त माहेश्वरी और काशी प्रांत से महेश श्रीवास्तव का नाम प्रमुख होगा। गोरखपुर क्षेत्र के अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह को हरी झंडी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा मिलने के बाद ही प्रत्याशी के रूप में देखा जा सकता है। ऐसे ही बीजेपी के महामंत्रियों में गोविंद नारायण शुक्ला और अमर पाल मौर्य का भाग्योदय भी हो सकता है, वहीं उपाध्यक्ष में जेपीएस राठोर का नाम भी लिस्ट में शामिल हो सकता है। इसके अलावा पार्टी अविनिश त्यागी और प्रियंका रावत पर भी दांव चल सकती है। पार्टी सूत्रों की माने तो कम से कम एक प्रवक्ता को भी एमएलसी प्रत्याशी की दावेदारी दी जा सकती है।
अभी हाल ही में सम्पन्न हुई प्रदेश बीजेपी के कोर सदस्यों की बैठक में इन तमाम नामों पर चर्चा हुई और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को नामों को दिल्ली भेजने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है की पार्टी कम से कम एक प्रत्यासी को दूसरे दल से तोड़ कर अपने पाले में कर सकती है।
फिलहाल ऐसा माना जा रहा है की नामों की घोषणा अगले दस दिनों के अंदर कर दी जाएगी। तब तक के लिए कयासों का बाजार ऐसे ही गर्म रहने की उम्मीद है।