पटना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार की कथित ‘बेनामी संपत्ति’ के अपने खुलासे के क्रम में आज उनकी पांचवीं पुत्री हेमा यादव पर 62 लाख रुपये का बेनामी भूखंड तोहफे के तौर पर रखने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि ललन चौधरी नामक जिस व्यक्ति ने हेमा को उक्त भूखंड तोहफे के तौर पर दिया, वह लालू के मवेशियों की देखभाल करता था और उसका नाम बीपीएल सूची में शामिल है.
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सुशील मोदी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कटाक्ष करते हुए कहा कि सीवान जिले के बडहरिया थाना अंतर्गत सियाडिह गांव निवासी ललन चौधरी ने केवल राबड़ी देवी को ही 30 लाख 80 हजार रुपये के मकान सहित 2. 5 डिसमिल जमीन ‘दान’ में नहीं दी, बल्कि कुछ अन्य लोग (हेमा यादव) भी हैं जिनको ‘दान कर ललन ने पुण्य कमाया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि ललन चौधरी ने 25 जनवरी 2014 को राबड़ी देवी को 2. 5 डिसमिल जमीन दान में दी थी और इसके मात्र 18 दिन बाद चौधरी ने 62 लाख की 7. 75 डिसमिल जमीन लालू प्रसाद की पांचवीं पुत्री हेमा यादव को दानस्वरूप दे दी.
सुशील ने आरोप लगाया कि चौधरी जिसका नाम बीपीएल सूची में शामिल है, ने उक्त भूखंड 29 मार्च 2008 को विशुन देव राय से मात्र चार लाख 21 हजार रुपये में खरीदा था.
उन्होंने आरोप लगाया कि इंदिरा आवास की राशि से अपना मकान बनवाने वाले ललन चौधरी ने केवल 62 लाख रुपये की जमीन ही हेमा यादव को नहीं दी, बल्कि छह लाख 28 हजार 575 रुपये का स्टाम्प शुल्क तथा निबंधन शुल्क भी चालान से एसबीआई पटना मुख्यालय शाखा में नकद जमा कराया था.
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने बताया कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की सूची में शामिल ललन चौधरी के पास एक करोड़ रुपये की संपत्ति कहां से आई जिसकी आज कीमत पांच करोड़ से कम नहीं है तथा उन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति राबड़ी देवी और हेमा यादव को क्यों दानस्वरूप दी. उन्होंने पूछा कि आखिर हेमा यादव ने क्या आर्थिक मदद की जिसके एवज में ललन चौधरी ने करोड़ों की संपत्ति दान कर दी. आखिर क्यों लालू प्रसाद आज तक ललन चौधरी को मीडिया के समक्ष हाजिर नहीं कर पाए.
सुशील ने आरोप लगाया कि विशुनदेव राय एवं रत्नेश्वर यादव के परिवार के सदस्यों को रेलवे में नौकरी या अन्य काम के एवज में लालू प्रसाद के विश्वापात्र ललन चौधरी के नाम से वर्ष 2008-2009 में पटना शहर की अत्यंत कीमती जमीन मुफ्त में लिखवा ली गई. इस करोड़ों की जमीन को छह साल बाद ललन चौधरी से दान में लिखवाकर राबड़ी देवी और हेमा यादव को वापस लालू परिवार द्वारा अपने कब्जे में कर लिया गया.
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