राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाला चंदा हमेशा ही विवादों में रहा है। राजनीतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत लाने की कोशिशों को सबसे बड़ा झटका तब लगा था जब नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में हुई सुनवाई में राजनीतिक दलों को आरटीआई से बाहर रखने की पैरवी की थी।
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एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट से एक बार फिर ये मुद्दा सुर्खियों में है। एडीआर ने पिछले चार साल में राजनीतिक दलों के मिले चंदे का विश्लेषण किया है। इस दौरान राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का बड़ा हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आया था। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इन सालों में करीब 159 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोत से मिले हैं यानी चंदा देने वालों का पैन, आधार या निवास का ब्योरा उपलब्ध नहीं है। राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये स अधिक चंदा देने वाले दानदाताओं को ब्योरा हर साल चुनाव आयोग को देना होता है। पिछले चार सालों में तीन हजार से ज्यादा दान “अज्ञात स्रोत” से मिला है।