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हालांकि शुरूआत में गुहा ने इस्तीफा देने की वजह निजी बताई थी लेकिन माना जा रहा था कि वह बोर्ड की अंदरूनी कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे थे। यही आशंकाएं उस समय सच साबित हो गई जब गुहा ने बीसीसीआई को चिट्ठी लिखकर बोर्ड के काम करने के तौर तरीकों और कामकाज पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए। बोर्ड को लिखी चिट्ठी में गुहा ने बोर्ड अधिकारियों, चयनकर्ताओं सहित पूर्व खिलाड़ियों पर हितों के टकराव का बड़ा आरोप लगाया है।
इसके अलावा बीसीसीआई की मीटिंग में आज भी कई ऐसे अधिकारी शिरकत करते हैं जो पूर्व में हटाए जा चुके हैं। गुहा ने धोनी के कांट्रेक्ट पर भी सवाल उठाया है। जिसमें कहा गया है कि धोनी राष्ट्रीय टेस्ट टीम से संन्यास ले चुके हैं लेकिन आज भी उन्हें बोर्ड के ए ग्रेड कांट्रेक्ट में रखा गया है।
उन्होंने राष्ट्रीय टीम और घरेलू खिलाड़ियों को दी जाने वाली मैच फीस में बड़े अंतर पर भी सवाल उठाया है। गुहा ने मौजूदा कोच विवाद पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि इसे और बेहतर तरीके से सुलझाया जा सकता था लेकिन बोर्ड अधिकारियों के इगो के कारण बिना वजह ये मुद्दा सवालों में घिर गया। गुहा ने साफ सवाल किया है कि बोर्ड में लगातार हितों के टकराव के मुद्दे की अनदेखी की जाती रही है, ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में भारतीय क्रिकेट का भला होना संभव नहीं है।