बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन जारी, जानिए कहां चलेगा बुलडोजर

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए यह साफ कर दिया कि किसी का भी आशियाना तोड़ना अवैध है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी आरोपी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है। जिसकी सच्चाई का निर्धारण सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी। कोई अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करता है, या पूरी तरह से मनमाने या दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम करता है, तो उसे बख्शा नहीं जा सकता। कार्यपालिका जज नही बन सकती, बिना प्रक्रिया आरोपी का घर तोड़ना असंवैधानिक, यहां तक दोषी पाए जाने पर भी सजा के तौर पर उनकी संपत्ति को नष्ट नहीं किया जा सकता।

जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा, “अपना घर पाने की चाहत हर दिल में होती है. हिंदी के मशहूर कवि प्रदीप ने इसे इस तरह से वर्णित किया है. घर सुरक्षा परिवार की सामूहिक उम्मीद है. क्या कार्यपालिका को किसी आरोपी व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा छीनने की अनुमति दी जा सकती है, यह हमारे सामने एक सवाल है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले का दायरा सीमित है, मुद्दा यह है कि क्या किसी अपराध के आरोपी या दोषी होने पर संपत्ति को ध्वस्त किया जा सकता है। एक घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई से पहले आरोपी को दंडित नही किया जा सकता, कानून का अनुपालन नगरपालिका कानूनों के लिए भी होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं…

  1. यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए
  2. बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है
  3. बिना कारण बताएं नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं
  4. मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा
  5. नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद से होगा।
  6. तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी
  7. कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी एक महीने के भीतर नियुक्त करेंगे
  8. नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा।जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा।
  9. प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनट को भी रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा। इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है और अगर ऐसा नहीं है तो गिराया जाना ही एक मात्र विकल्प क्यों है?
  10. इससे जुड़ा आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।
  11. आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का भी अवसर दिया जाएगा और अगर अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है तभी गिराने की कार्रवाई की जाएगी।
  12. विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।
  13. सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और उन अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति की लागत वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
  14. सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।
  15. जिले का DM आज से एक महीने के भीतर गिराए जाने वाली संपत्तियों से निपटने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे
  16. प्रत्येक स्थानीय प्राधिकरण को तीन महीने के भीतर एक डिजिटल पोर्टल बनना होगा जिसमें नोटिस का विवरण होगा।
  17. तोड़फोड़ की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए। तोड़फोड़ की रिपोर्ट डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित की जानी चाहिए।
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com