घायल मानसी को पीजीआइ के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों ने बिस्तर खाली नहीं, लिख कर मेडिकल विवि भेज दिया जबकि हकीकत यह थी कि 11 बेड वाले विशेष रेड जोन वाले एरिया में केवल चार मरीज भर्ती थे। ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों को काम न करना पड़े, केवल इसलिए पैर में कच्चा प्लास्टर लगा मेडिकल विवि भेज दिया जबकि यहा पर हड्डी रोग विशेषज्ञ के साथ सहायकों की पूरी टीम है।
फतेहपुर जिले की रहने वाले मानसी अपनी मा शिव दुलारी के साथ लालगंज रायबरेली भाई को राखी बाधने रोडवेज बस से जा रही थी। उरटिया डेंटल कॉलेज के सामने बस औरह ट्रेलर के बीच टक्कर में मानसी घायल हो गई। वहा मौजूद अजय कुमार सिंह और तारा यादव उन्हें लेकर रविवार सुबह 7:30 बजे पीजीआइ के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहा मौजूद मेडिकल स्टाफ ने देखने के बाद पैर में केवल कच्चा प्लास्टर कर मेडिकल विवि रेफर कर दिया। ट्रॉमा सेंटर गए तो वहा भी बेड न होना कह कर लौटा दिया गया। हारकर इन लोगों ने मानसी को उतरटिया स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां बताया गया कि तीन फैक्चर कमर के नीचे आए हैं। बताया गया कि ऑपरेशन करना पड़ेगा। उधर सोमवार की सुबह मानसी के पिता शिव प्रकाश भी देहरादून से पहुंच गए। समाजसेवियों ने की आर्थिक मदद
परिजनों का कहना का कहना है कि करोड़ो की लागत से बने पीजीआइ के ट्रॉमा सेंटर में बेड खाली थे। इसके बाद भी नो बेड बताकर उन्हें रेफर कर दिया गया। कहा कि समाजसेवी तारा चंद यादव और अजय कुमार सिंह ने काफी मदद की। परिजन बोले कि ट्रॉमा सेंटर के डाक्टरों का रवैया बेहद खराब है।