देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। सरकार इसको कम करने के लिए कई सारे प्रयास कर रही है लेकिन, वह नाकाफी साबित हो रहे हैं। जहां तक लोन की बात है, इसे पाना आसान नहीं होता है क्योंकि इसमें तमाम कसौटियों को पूरा करना होता है। मसलन लोन की गारंटी और सही दस्तावेज इत्यादि। हालांकि, सरकार उन लोगों के लिए लोन की कई स्कीम लेकर आई है जो अपने करियर की शुरुआत किसी छोटे उद्योग से करना चाहते हैं, या फिर मिलने वाले लोन का इस्तेमाल किसी अन्य काम में करना चाहते हैं। देश में बेरोजगार युवाओं का समर्थन करने और गरीबी को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं शुरू की गई हैं। हम आपको बेरोजगार युवाओं को कुछ सरकारी समर्थित लोन स्कीम के बारे में बता रहे हैं।
प्रधानमंत्री रोजगार योजना: इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को सरकार की ओर से लोन मुहैया कराया जाता है। इस योजना से बेरोजगार युवा खुद का बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं। यह लोन उन्हें दिया जाता है जो कक्षा 8 तक की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। इसके तहत व्यक्ति अपने उद्यम की स्थापना के लिए 5 लाख रुपये तक का लोन ले सकता है। इसके लिए व्यक्ति की उम्र 18-35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। जो भी बेरोजगार युवा हैं इस लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। हालांकि, इस लेने के लिए लाभार्थी की आय उसके माता-पिता की आय के साथ प्रति वर्ष एक लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
लोन सब्सिडी स्कीम: यह स्कीम सभी राज्यों में उपलब्ध नहीं है, तमिलनाडु सरकार बेरोजगार युवाओं को निफ्टी योजना देती है, जिसके अंतर्गत 25 फीसद लोन की राशि पर राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है। वहीं NEEDS योजना के तहत राज्य सरकार ग्रेजुएट बेरोजगार युवाओं को किसी भी लोन पर 25 फीसद सब्सिडी देती है।
कैश लोन: एनईईडी योजना के समान, यह भी राज्य द्वारा वित्त पोषित लोन है जिसे पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से उन बेरोजगार युवाओं को दिया जाता है जो नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। इस योजना के तहत, एक बेरोजगार व्यक्ति 50,000 रुपये के लोन के लिए आवेदन कर सकता है। इसके लिए बेरोजगार युवक की उम्र 18-45 वर्ष होनी चाहिए।
कृषि लोन: यह कृषि क्षेत्र में लगे बेरोजगार व्यक्तियों के लिए बहुत ही उपयोगी योजना है। 22 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बेरोजगार युवा जो ग्रेजुएट हो इस योजना के तहत लोन के लिए आवेदन कर सकता है।
बेरोजगारों के लिए सुरक्षित लोन: इस लोन के लिए ऋणदाता के पास कुछ परिसंपत्तियों को रखा जाता है। इसकी लोन राशि सीधे संपत्ति के मूल्य पर निर्भर करती है।