डमी एकाउंट खोल करोड़ों की सरकारी रकम हड़पने के मामले में पीएनबी की विकास भवन शाखा के पूर्व प्रबंधक श्यामा नंद चौबे ही नहीं बल्कि बैंक के आधे स्टाफ पर सीबीआई का शिकंजा कस गया है। सीबीआई (सीआईबी) की लखनऊ ब्रांच ने इस मामले में पांच नामजद समेत कई अन्य पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इनमें श्यामानंद चौबे के अलावा बैंक के तत्कालीन लोन इंचार्ज प्रदीप कुमार जायसवाल, ओम प्रकाश मल्ल, हेड कैशियर राजेंद्र कुमार तथा बैंक के तत्कालीन चपरासी अरविंद कुमार के नाम शामिल हैं। विभिन्न विभागों से संचालित योजनाओं के साथ ही लोन के नाम पर करीब पांच करोड़ रुपये के इस घोटाले में सीबीआई अभी दस्तावेजों की जांच में जुटी है। जल्द ही आरोपियों से पूछताछ शुरू की जाएगी।अभी-अभी: सीएम वितरित करेंगे कर्जमाफी का प्रमाण-पत्र….
सिंडिकेट बना, पांच साल से मचा रखी थी लूट
पीएनबी बैंक की तरफ से सीबीआई को दी गई जानकारी के मुताबिक बैंक की विकास भवन शाखा के पूर्व मैनेजर श्यामा नंद चौबे बैंक स्टाफ का पूरा सिंडिकेट तैयार कर पांच साल से फर्जी एकाउंट के जरिए करोड़ों का सरकारी धन लूटते रहे। सरकारी योजनाओं से लेकर लोन तक के करीब पांच करोड़ रुपये की यह हेराफेरी पांच जुलाई 2011 से 11 जुलाई 2015 तक के बीच हुई। इस दरमियान सभी 13 डमी एकाउंट खोले गए। इनमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, छात्रवृत्ति और इंदिरा आवास आदि योजनाओं के कलेक्शन खाते समेत कुछ चालू और कुछ बचत खाते शामिल हैं। बैंक के आला अफसरों की जांच में इस घोटाले की पुष्टि होने के बाद पीएनबी गोरखपुर सर्किल ऑफिस के चीफ मैनेजर आरके श्रीवास्तव ने सीबीआई में तहरीर दी थी, जिसपर मुकदमा दर्ज हुआ।
सस्पेंड हो चुके हैं मैनेजर, बाकी का तबादला
घोटाले की आशंका होते ही बैंक नेइस पूरे खेल के मास्टरमाइंड माने जा रहे पूर्व मैनेजर श्यामानंद चौबे का तबादला पहले मेरठ कर दिया और फिर 29 अक्टूबर 2015 को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इसी तरह लोन इंचार्ज ओम प्रकाश मल्ल को छोड़ इस फर्जीवाड़े के खेल में शामिल बाकी स्टाफ का भी तबादला कर दिया गया। लोन इंचार्ज पीके जायसवाल को छपरा, मुजफ्फरपुर स्थानांतरित कर दिया गया तो राजेंद्र कुमार हेड कैशियर को गोरखपुर के सिसवा बाजार शाखा, चपरासी अरविन्द कुमार को गोरखपुर की बड़हलगंज शाखा भेज दिया गया।
जांच के घेरे में कई विभागों के अफसर भी
गोरखपुर। सरकारी योजनाओं के नाम से डमी एकाउंट खोल हुई करोड़ों की हेराफेरी के मामले में विकास भवन के कई विभागों के तत्कालीन अफसर, कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं। माना जा रहा है कि समाज कल्याण और प्रोबेशन समेत करीब आधा दर्जन विभागों में उस समय तैनात अफसरों, कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना संबंधित योजनाओं की रकम में हेराफेरी की ही नहीं जा सकती। सवाल यह भी इन विभागों की ऑडिट में भी करोड़ों की हेराफेरी का मामला क्यों नहीं पकड़ में आया।
इन डमी एकाउंट से हुआ घोटाला
4755005500000014- चालू खाता, वृद्धावस्था पेंशन
4755005500000023- चालू खाता, विधवा पेंशन
4755005500000032- चालू खाता, विकलांग पेंशन
4755005500000041- चालू खाता, ओबीसी छात्रवृत्ति
4755005500001197- कलेक्शन एकाउंट छात्रवृत्ति
4755002100000050- चालू खाता, सामान्य छात्रवृत्ति
4755005500000117- चालू खाता, महामाया आर्थिक मदद योजना
4755000100025276- बचत खाता( कलेक्शन एकाउंट)
4755000100027937- बचत खाता, रानी लक्ष्मी बाई योजना
4755000100027946- बचत खाता, वृद्धावस्था पेंशन योजना
4755000100027955- बचत खाता, विधवा पेंशन योजना
4755000100029591- बचत खाता, (कलेक्शन एकाउंट टू)
4755000100029856- बचत खाता, (कलेक्शन एकाउंट लोहिया योजना)