भारत में बैड लोन की वजह से बैंकों का बुरा हाल है. आरबीआई से मिले डाटा के मुताबिक भारतीय बैंकों के पास 9.5 लाख करोड़ रुपये के बैड लोन का अंबार लगा हुआ है. आरटीआई के तहत यह जानकारी मिली है. इस डाटा से यही संकेत मिलता है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बैड लोन पर फिलहाल नियंत्रण नहीं कर पा रही है.BJP से कम नहीं हो रहा पाटीदारों की नाराजगी, नितिन पटेल की सभा में जमकर किया विरोध
4.5 फीसदी बढ़ा है बैड लोन
इस साल जून तक का यह आंकड़ा सूचना के अधिकार के तहत मिला है. आरबीआई की तरफ से मिले इस डाटा के मुताबिक बैंकों का कुल बैड लोन पिछले छह महीनों में 4.5 फीसदी बढ़ा है. इससे पहले के छह महीनों में इसमें 5.8 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी.
बैंकों के मुनाफे पर बुरा असर
देश की ज्यादातर कंपनियां फंड की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों पर ही निर्धारित हैं, लेकिन बैड लोन का बढ़ता आंकड़ा बैंकों के मुनाफे पर बुरा असर डाल रहा है. इन लोन की वजह से छोटे कारोबारियों को भी लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति ऐसे समय में बनी हुई है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है.
धीमी है विकास दर की रफ्तार
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास की रफ्तार इस साल अप्रैल-जून में काफी धीमी रही है. पिछले तीन सालों में यह सबसे धीमी चाल थी. इसकी वजह से मोदी सरकार के सामने नई नौकरियां तैयार करने की चुनौती खड़ी हो गई है.
आगे और बिगड़ सकते हैं हालात
बैंकों के लिए स्थिति और भी बिगड़ सकती है्. इसकी वजह नये प्रस्तावित नियम बन सकते हैं. इनके मुताबिक आरबीआई की तरफ से ब्याज दर में जो कटौती की जाएगी. उसे कमर्शियल बैंकों को ग्राहकों तक पहुंचाना होगा. अगर ये नियम लागू हो जाते हैं, तो बैंकों का प्रॉफिट मार्जिन और घट सकता है.
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सबसे ज्यादा बैड लोन
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय बैंकों का बैड लोन ज्यादातर स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र से है. समीक्षकों ने छोटे कारोबारियों के बढ़ते बैड लोन को लेकर भी चेताया है. उनके मुताबिक बड़े कारोबारियों की तरह ही अगर छोटे कारोबारियों की तरफ से भी बैड लोन बढ़ता रहा, तो इससे अर्थव्यवस्था की विकास दर की रफ्तार और भी धीमी हो जाएगी.
क्या होता है बैड लोन
बैड लोन उन लोन को कहा जाता है, जहां लोन की किश्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा है. किसी लोन को तब बैड लोन की श्रेणी में डाला जाता है, जब उस लोन के भुगतान की संभावनाएं नहीं दिखतीं.