रागिनी खन्ना ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत टीवी सीरियल ‘ससुराल गेंदा फूल’ और ‘राधा की बेटियां’ से की थी। वह फिल्म एक्टर गोविंदा की भांजी हैं। रागिनी ने टीवी के बाद फिल्मों में भी खुद को आजमाया।साल 2011 में वह फिल्ममेकर राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘तीन थे भाई’ में नजर आई थीं। लेकिन इस फिल्म को सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह फिर से टीवी पर आर्इं और कुछ रियालिटी शो होस्ट किए। जल्द ही वह डायरेक्टर शंकर रमण की फिल्म ‘गुड़गांव’ में नजर आएंगी। पेश है,
रागिनी खन्ना से हुई बातचीत
मैं इसे बॉलीवुड में अपनी नई शुरुआत कहूंगी। कई सालों तक छोटे पर्दे पर बिजी रहने के बाद बड़े पर्दे पर आ रही हूं। हालांकि मैंने फिल्ममेकर राकेश मेहरा की फिल्म ‘तीन थे भाई’ की थी। लेकिन ‘गुड़गांव’ मेरे लिए बहुत खास फिल्म है। इस बीच मैंने एक पंजाबी फिल्म ‘भाजी इन प्रॉब्लम’ की थी, जिसे अक्षय कुमार ने प्रोड्यूस किया था।फिर नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ एक फिल्म ‘धूमकेतु’ भी की है, यह जल्द ही रिलीज होगी। इसी बीच मुझे ‘गुड़गांव’ मिल गई। मकाउ फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म का प्रीमियर हुआ। कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में ‘गुड़गांव’ को दिखाया गया है। जल्द ही यह फिल्म इंडिया में रिलीज होगी, मुझे इससे बहुत उम्मीदें हैं। इसे भी पढ़ें: पॉप स्टार जस्टिन बीबर पर चीन ने लगाया बैन
इसमें आपका रोल क्या है?
फिल्म में मैं केहरी सिंह की बेटी प्रीत के किरदार में हूं। प्रीत पेरिस से आर्किटेक्चर का कोर्स करके इंडिया आती है। प्रीत हमेशा घर की सिचुएशन बैलेंस करने में लगी रहती है। उसके घर-परिवार का माहौल मार-पीट वाला है। लेकिन प्रीत अपने लेवल पर सोसायटी के लिए कुछ करना चाहती है। यह एक कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर है।दरअसल, प्रीत ज्यादा बोलती नहीं है। दर्शक उसे देखकर यह नहीं कह पाएंगे कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है? प्रीत के दिल में जो है, वह बोल ही नहीं पाती है। मेरे लिए इस कैरेक्टर को प्ले करना काफी मुश्किल था। बिना बोले अपनी बात जताना काफी टफ होता है।
फिल्म में मैं केहरी सिंह की बेटी प्रीत के किरदार में हूं। प्रीत पेरिस से आर्किटेक्चर का कोर्स करके इंडिया आती है। प्रीत हमेशा घर की सिचुएशन बैलेंस करने में लगी रहती है। उसके घर-परिवार का माहौल मार-पीट वाला है। लेकिन प्रीत अपने लेवल पर सोसायटी के लिए कुछ करना चाहती है। यह एक कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर है।दरअसल, प्रीत ज्यादा बोलती नहीं है। दर्शक उसे देखकर यह नहीं कह पाएंगे कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है? प्रीत के दिल में जो है, वह बोल ही नहीं पाती है। मेरे लिए इस कैरेक्टर को प्ले करना काफी मुश्किल था। बिना बोले अपनी बात जताना काफी टफ होता है।
सुना है आप अपने मामा गोविंदा से काफी इंस्पायर्ड हैं?
मामा बहुत हार्ड वर्किंग एक्टर रहे हैं। बचपन में मैंने उनकी मेहनत देखी है। वह एक दिन में चार-चार शिफ्ट्स में काम करते थे।उनकी फिल्म ‘शोला और शबनम’ मुझे बहुत पसंद है। मैं गोविंदा मामा के साथ काम करना चाहती हूं, लेकिन अब तक कोई स्क्रिप्ट हमारे पास नहीं आई, जिसमें हम दोनों फिट बैठ सकें।
इन दिनों बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद की बात बहुत हो रही है, इस पर आपका क्या कहना है?
देखिए, मैंने जो भी किया है अपने दम पर किया है। गोविंदा मामा ने भी अपनी पहचान खुद की मेहनत से बनाई थी। उन्होंने कभी अपने रिश्तेदारों के लिए यहां तक कि अपने बच्चों के लिए भी किसी डायरेक्टर-प्रोड्यूसर से मदद नहीं मांगी।मुझे लगता है कि स्टार सन या डॉटर होने पर शायद पहली फिल्म मिल जाती होगी, लेकिन इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए टैलेंट बहुत जरूरी है। आखिर में एक्टर का एक्टिंग टैलेंट ही काम आता है, क्योंकि फैसला ऑडियंस करती है।
एक्टिंग के अलावा दूसरे शौक
एक्टिंग के अलावा भी मेरे बहुत से शौक हैं। सिंगिंग करती हूं, डांस का भी शौक है। मैंने पंद्रह साल तक क्लासिकल म्यूजिक सीखा है।पढ़ने का भी शौक है। मुंशी प्रेमचंद की कई कहानियां, उपन्यास पढ़ चुकी हूं, साथ ही कई महान लेखकों की रचनाएं भी पढ़ती हूं।