चीन ब्रह्मपुत्र के पानी को तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए बनाने पर विचार कर रहा है। मीडिया की खबरों के अनुसार चीनी इंजीनियर उस तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं जिससे दुनिया की सबसे लंबी सुरंग को बनाने में प्रयोग किया जाएगा। इस सुरंग के जरिए अरुणाचल के समीप तिब्बत में ब्रह्मपुत्र के पानी को सूखे क्षेत्र शिनजियांग की तरफ मोड़ा जाएगा।
ये 3 फैसले दे रहे हैं मजबूत जिनपिंग भारत के लिए खतरें का संकेत
हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट ने खबर दी है कि चीन के इस कदम ने हिमालयी क्षेत्र में पड़ने वाले प्रभावों को लेकर पर्यावरणविद की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस कदम से शिनजियांग के कैलिफोर्निया बनने की उम्मीद है।
तिब्बत-शिनजियांग जल सुरंग के प्रस्ताव के मसौदे को तैयार करने में मदद करने वाले एक शोधकर्ता वांग वेई का कहना है कि राष्ट्रव्यापी रिसर्च के लिए 100 से अधिक वैज्ञानिकों की टीमों का गठन किया गया था। इस प्रस्ताव पर केंद्रीय सरकार को मार्च में रिपोर्ट सौंपी गई थी।
प्रस्तावित सुरंग जो दुनिया के सबसे ऊंचे पठार से होकर गुजरेगी, विभिन्न खंडों में झरनों से जुड़ेगी। यह सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक खंड जो व्यापक रूप से मरुस्थल और सूखे घास का मैदान है, को पानी उपलब्ध कराएगी। यह पानी दक्षिण तिब्बत में यारलंग सांगपो नदी से मुड़कर शिनचियांग के तकलमाकन मरुस्थल में पहुंचेगा। यारलुंग सांगपो नदी भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है।
मालूम हो कि भारत पहले ही ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जाने वाले बांधों को लेकर चीन के समक्ष चिंता जता चुका है। वहीं चीन भारत और बांग्लादेश को यह आश्वासन दे चुका है कि उसके बांध नदी परियोजना को संचालित करने के लिए हैं और इन्हें जल संग्रह करने को लिए डिजाइन नहीं किया गया है। भारत और बांग्लादेश दोनों को ब्रह्मपुत्र से पानी मिलता है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features