कानपुर कान्हा होटल ग्रुप के मालिक राजिंदर सिंह छाबड़ा के भाई गुरदीप सिंह छाबड़ा का एक और राज फाश हुआ है। इनके घर से आयकर अफसरों को रिश्वत के हिसाब-किताब की डायरी हाथ लगी है। इस डायरी में लिखे पदनामों को पढ़कर अफसरों की आंखें फटी रह गई हैं। धंधे में आंच न आए, किसी अफसर का दखल न हो, कोई उनके प्रतिष्ठानों पर कभी छापा न पड़े, कभी उनकी गाड़ियां न रोकी जाएं इसके लिए कई विभागों के अफसरों को मनमाफिक पैसा पहुंचता था।
आयकर विभाग के सूत्र बताते हैं कि राजिंदर बस सर्विस के मालिक गुरदीप सिंह के घर पर मिली इस डायरी ने कई ऐसे राज उगले हैं जिससे जांच की दिशा ही बदल गई है। बेनामी संपत्ति का मामला तो है ही, कई अफसर भी जांच के दायरे में आ गए हैं। आयकर अफसरों ने ट्रांसपोर्टर के सामने प्रस्ताव रखा है कि वे बेनामी संपत्ति सरेंडर कर दें और रिश्वतखोरी में लिप्त अफसरों के खिलाफ गवाह बन जाएं।
ट्रांसपोर्टर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। इस वजह से अफसरों ने करीब कई करोड़ रुपये सरेंडर की राशि अस्वीकार कर दी है। आयकर के सूत्र बताते हैं कि ऐसे मामलों में व्यवसायी का सरेंडर मायने नहीं रखता। आयकर अफसर सिर्फ कुछ रकम सरेंडर करवाने के मकसद से ही छापा नहीं मारते बल्कि मायने यह रखता है कि टैक्स चोरी की कड़ियों को जोड़कर उनसे जुड़े लोगों को भी जांच के दायरे में लाया जाए। ट्रांसपोर्टर के प्रतिष्ठानों से मिले दस्तावेज जांच को बहुत आगे तक ले जाएंगे। इसमें कई बड़े लोग फंस सकते हैं।
अब तक हुई बरामदगी
छाबड़ा बंधुओं के यहां 14 दिसंबर को आयकर का छापा पड़ा था। इनके नौ ठिकानों से अब तक दो करोड़ रुपये कैश की बरामदगी हो चुकी है। तीन किलो सोना और भारी भरकम ज्वैलरी भी मिली है। इसके अलावा कई शहरों में 20 से ज्यादा अचल संपत्तियां सामने आ चुकी हैं। दोनों भाइयों के नाम 450 से ज्यादा ट्रक भी हैं। गुरदीप सिंह के नाम 250 और राजिंदर छाबड़ा के नाम 200 ट्रक। राजिंदर (छाबड़ा) बस सर्विस के अधीन तीन फर्में काम कर रही हैं। इनमें कान्हा कार्गो मूवर्स, प्रशांत रोड लाइंस और छाबड़ा कैरियर्स शामिल हैं।