एसआईटी के अपर पुलिस अधीक्षक मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि अब तक की जांच में सहायक अभियंता, अवर अभियंता (विद्युत/यांत्रिक), नैतिक लिपिक और आशुलिपिक की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरते जाने की पुष्टि हुई है।
उन्होंने बताया कि 122 पदों पर सहायक अभियंताओं की भर्ती को खुद जल निगम ने रद्द कर दिया था। जबकि अवर अभियंता (सिविल) के 727 पदों और अवर अभियंता (विद्युत/यांत्रिक) के 126 पदों पर भर्ती के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में भी अनियमितता के साक्ष्य हाथ लगे हैं।
उन्होंने बताया कि इसी तरह नैतिक लिपिक के 335 पदों पर की गई भर्ती की जांच अभी चल रही है। जबकि आशुलिपिक के 63 पदों पर भर्ती की भी प्रक्रिया की गई थी, जिसमें से 32 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। हालांकि जल निगम ने बिना कारण बताए ही आशुलिपिक की भर्ती को रद्द कर दिया था।
इसे शासकीय क्षति मानते हुए इस प्रकरण की भी जांच की जा रही है। एएसपी ने बताया कि इस मामले में अब तक भर्ती प्रक्रिया में शामिल रहे मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी अनिल कुमार खरे, प्रमोद कुमार सिन्हा, राजीव निगम, गिरीश चंद्र व राम सेवक शुक्ला आदि लोगों से पूछताछ का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि भर्ती प्रक्रिया करने वाले एपटेक कंपनी से भी भर्ती के संबंध में दस्तावेज प्राप्त हो चुके हैं।
उस समय सरकार के कद्दावर मंत्री मोहम्मद आजम खां नगर विकास मंत्री होने के साथ ही जल निगम के अध्यक्ष पद पर भी काबिज थे। इसके बावजूद इन पदों पर भर्ती में व्यापक पैमाने पर धांधली होने की शिकायत हुई थी। कुछ अभ्यर्थियों ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट के निर्देश पर निगम के ही अधीक्षण अभियंता स्तर के एक अधिकारी से जांच कराई गई थी, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में धाधंली की पुष्टि हुई थी। इसकेबाद नई सरकार ने भी इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी थी।