ब्रिटेन में इस साल जून में हुए आम चुनाव के भीतर कंजर्वेटिव पार्टी का बहुमत खोने के बाद प्रधानमंत्री टेरीजा मे को संसद में एक और बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। ब्रिटेन के यूरोपियन संघ से बाहर होने संबंधी ब्रेक्जिट विधेयक पर होने वाले मतदान में टेरीजा मे को संसद में सिर्फ चार वोट से शिकस्त खानी पड़ी। इसे सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।एक-दूसरे के पास आ रहे हैं ट्रंप-पुतिन, फिर क्यों कहा- बदनाम करने के लिए गढ़ी कहानी
ब्रिटिश पीएम को संसद में यह शिकस्त इसलिए खानी पड़ी क्योंकि उनकी ही पार्टी के विरोधियों ने यूरोपीय संघ के साथ हुए ब्रेक्जिट समझौते पर कानूनी गारंटी दे दी। कल हाउस ऑफ कामंस में अधिकांश सांसद ब्रेक्जिट ब्लूप्रिंट में बदलाव के लिए दबाव डालते रहे, जबकि मंत्री कह रहे थे कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होना खतरनाक हो सकता है। छह सौ पचास सदस्यों वाली ब्रिटिश संसद में 305 सांसदों ने यूरोपीय संघ से अंतिम निकास समझौते के संशोधन के पक्ष में और 309 सांसदों ने विरोध में मतदान किया।
सरकारी प्रवक्ता ने संसद में कल हुए मतदान को निराशाजनक बताया है। हालांकि टेरीजा सरकार की टीम अपनी पार्टी के सांसदों को उनकी जिद छोड़ने के लिए समझाती रही लेकिन कुछ सांसद इसमें संशोधन की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने यह तर्क भी दिया कि विधेयक में संशोधन करने से यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ 2019 में ब्रिटेन के निकलने में बाधा आएगी। लेकिन अंतत: प्रधानमंत्री को झटका देते हुए सांसदों ने इस विधेयक में संशोधन के पक्ष में मतदान किया और पार्टी के 11 सांसदों की बगावत की वजह से यह विधेयक संसद में औंधे मुंह गिर गया।
हेमंड ने बाद में ट्वीट किया कि आज मैंने देश और अपने निर्वाचन क्षेत्र को पार्टी से ऊपर रखा है और अपने सिद्धांतों के हिसाब से मतदान किया है। ब्रिटेन के पूर्व अटॉर्नी जनरल डोमिनिक ग्रीव ने भी कहा कि देश किसी भी पार्टी से पहले है और मैंने इसका ध्यान रखा है।
लेबर पार्टी ने हार को शर्मनाक बताया
ब्रेक्जिट को लेकर सरकार को पहली बार हार का सामना करना पड़ा है। विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने कहा कि यूरोपियन संघ सम्मेलन की पूर्व संध्या पर टेरीजा मे के लिए यह हार शर्मनाक है। इस सम्मेलन में ब्रेक्जिट पर चर्चा होनी है। उधर, ब्रिटेन सरकार ने भी कहा कि उसे मिले आश्वासनों के बावजूद ब्रेक्जिट विधेयक पर मिली हार निराशाजनक है।
हालांकि इसके पक्ष में मतदान करने वालों ने कहा कि 2019 में ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने पर इस मामूली झटके का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।