एक घर में रखा सिलेंडर लीक हो रहा था। घर की खिड़कियां-दरवाजे बंद पड़े थे। जब गैस को बाहर निकलने की जगह नही मिली तो बड़ा धमाका हो गया। तस्वीरेंअभी-अभी: फर्जी स्टांप पेपर घोटाले के दोषी तेलगी की हालत हुई नाजुक, हॉस्पिटल में…
धमाका हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर-10 में एक कोठी में दिवाली के एक रात पहले हुआ था। इस धमाके के बाद अस्पतालों में इलाज में हुई देरी और अनदेखी के कारण सात झुलसे लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
बुधवार रात दीपावली से महज एक दिन पहले सेक्टर-10 के मकान नंबर-702 में गेट खोलते ही एक के बाद एक दो धमाके हुए और नीली आग की चपेट में नौ लोग आ गए। आग की चपेट में आने से 30 फीसदी से 90 फीसदी तक कई लोग जल गए थे।
धमाके में झुलसे मरीज एक के बाद एक अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए भटकते रहे। लेकिन उन्हें कहीं भी सही इलाज नहीं मिला। यही कारण है कि मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता चला गया। मरीज कहीं रेफर किए जाते रहे तो कहीं खुद वह बेहतर इलाज के लिए गए।
वहीं प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि इस घटना के पीड़ितों को देखने या परिवारों की सहायता के लिए पुलिस और विधायक के अलावा प्रशासन का कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा। जिस शहर में ऐसे हादसे में सात लोगों की मौत हो चुकी है, वहां आखिरकार प्रशासन की क्या जिम्मेदारी बनती है, यह प्रशासन को पता होना चाहिए।
मौत के इस मंजर को देख अनमोल के दोस्तों, परिजनों और सेक्टरवासियों के आंसू नहीं थम रहे। 22 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनमोल सहित सभी पीड़ित परिवारों ने इन मौतों के लिए अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। पिछले 24 घंटे में इस घटना में जख्मी मकान मालिक अजीत चौधरी, अनमोल और सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत मैनेजर जिग्नेश की मौत हो चुकी है।
अनमोल की मौत के लिए उसके मामा एसके सिंगला ने अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंचकूला के सिविल अस्पताल में भी मदद के लिए अनमोल गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। जीएमसीएच-32 और सेक्टर-33 के निजी अस्पताल पर भी लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रुपये खर्च करने के लिए तैयार होने के बावजूद निजी अस्पतालों में भी इलाज की जगह इन्फ्रास्ट्रक्चर का हवाला दिया जाता है। अब तक इस हादसे में एचआर शर्मा, आरसी शर्मा, अजीत चौधरी, अनमोल और जिग्नेश की मौत हो चुकी है। घटना में जख्मी हुए अन्य तीन लोगों की हालत अभी गंभीर बनी हुई है।
आईटी कंपनी के मैनेजर था जिग्नेश
पंचकूला के सेक्टर-11 स्थित आईटी कंपनी में बतौर मैनेजर कार्यरत जिग्नेश की मौत के बाद सोमवार दोपहर बाद उनके शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को शव सौंप दिया गया। जिग्नेश इसी घटना में जख्मी हुए एचआर शर्मा के घर पर किरायेदार के तौर पर रह रहे थे। घटना के दिन उनके साथ साथ वह भी पड़ोस में होने वाली गैस लीकेज की बात सुनकर देखने पहुंचे थे।
पंचकूला के सेक्टर-11 स्थित आईटी कंपनी में बतौर मैनेजर कार्यरत जिग्नेश की मौत के बाद सोमवार दोपहर बाद उनके शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को शव सौंप दिया गया। जिग्नेश इसी घटना में जख्मी हुए एचआर शर्मा के घर पर किरायेदार के तौर पर रह रहे थे। घटना के दिन उनके साथ साथ वह भी पड़ोस में होने वाली गैस लीकेज की बात सुनकर देखने पहुंचे थे।
बाल बाल बच गए अनमोल के पिता
अनमोल के पिता टीवी गर्ग जीसीजी-42, चंडीगढ़ में कॉमर्स के प्रोफेसर हैं, जो इस हादसे की चपेट में आने से बाल बाल बच गए। दरअसल, जिस वक्त यह घटना हुई बुधवार रात वह फायर ब्रिगेड के नंबर पर फोन कर रहे थे, लेकिन खराब नेटवर्क होने की वजह से वह सड़क पर थोड़ी दूर आगे चले गए और इसी दौरान धमाके हुए। अनमोल और प्रियांषु की मां की उस वक्त कैंसर से मौत हो गई थी, जब दोनों भाइयों की उम्र 10-12 वर्ष की थी। उसके बाद से दादी और पिता के साथ ही दोनों भाई रह रहे थे। इस घटना में अनमोल के बड़े भाई प्रियांषु भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जो उपचाराधीन हैं, जबकि दादी भी गंभीर रूप से झुलस गईं हैं।
अनमोल के पिता टीवी गर्ग जीसीजी-42, चंडीगढ़ में कॉमर्स के प्रोफेसर हैं, जो इस हादसे की चपेट में आने से बाल बाल बच गए। दरअसल, जिस वक्त यह घटना हुई बुधवार रात वह फायर ब्रिगेड के नंबर पर फोन कर रहे थे, लेकिन खराब नेटवर्क होने की वजह से वह सड़क पर थोड़ी दूर आगे चले गए और इसी दौरान धमाके हुए। अनमोल और प्रियांषु की मां की उस वक्त कैंसर से मौत हो गई थी, जब दोनों भाइयों की उम्र 10-12 वर्ष की थी। उसके बाद से दादी और पिता के साथ ही दोनों भाई रह रहे थे। इस घटना में अनमोल के बड़े भाई प्रियांषु भी गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जो उपचाराधीन हैं, जबकि दादी भी गंभीर रूप से झुलस गईं हैं।
अनमोल कुछ देर पहले घर पर आया था
पड़ोस में रहने वाले वेद मक्कड़ ने बताया कि घटना के दिन अनमोल कुछ देर पहले घर पर आया था। अचानक गैस लीकेज की जानकारी मिलते ही वह पानी की पाइप लेकर आग और धुआं को काबू करने के लिए आगे बढ़ा। लेकिन जैसे ही मकान मालिक अजीत ने गेट खोला एक के बाद हुए दो धमाकों के बाद गिरी छत की चपेट में आकर वहीं दब गया। काफी मशक्कत के बाद अनमोल को निकालकर अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान उसका शरीर 30 फीसदी जल चुका था। जबकि शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आई थीं। डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़े में हुई परेशानी के कारण सांस लेने में परेशानी आ रही थी, जिससे अनमोल की मौत हो गई।
पड़ोस में रहने वाले वेद मक्कड़ ने बताया कि घटना के दिन अनमोल कुछ देर पहले घर पर आया था। अचानक गैस लीकेज की जानकारी मिलते ही वह पानी की पाइप लेकर आग और धुआं को काबू करने के लिए आगे बढ़ा। लेकिन जैसे ही मकान मालिक अजीत ने गेट खोला एक के बाद हुए दो धमाकों के बाद गिरी छत की चपेट में आकर वहीं दब गया। काफी मशक्कत के बाद अनमोल को निकालकर अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान उसका शरीर 30 फीसदी जल चुका था। जबकि शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आई थीं। डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़े में हुई परेशानी के कारण सांस लेने में परेशानी आ रही थी, जिससे अनमोल की मौत हो गई।