जिस आधार कार्ड के चलते सुप्रीम कोर्ट को निजता के अधिकार के मामले पर सुनवाई करनी पड़ी, उसकी की गोपनीयता की साख पर फर्जी तरीके से आधार बनाने वाले गिरोह ने बट्टा लगाया है। यूपी एसटीएफ ने फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनाने वाले जिस गिरोह का भंडाफोड़ किया है, उस गिरोह के कई सदस्य पहले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) में काम कर चुके हैं। एसटीएफ की मानें तो इस गिरोह का सरगना सौरभ सिंह, शिवम, तुलसीराम, कुलदीप और चमन यूआईउीएआई में पहले बतौर ऑपरेटर काम कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक सौरभ बीसीए कर रहा है।डेरा सच्चा सौदा को लेकर हुआ एक और बड़ा खुलासा, साध्वियों के हॉस्टल तक जाने का मिला सीक्रेट रास्ता
डाटा चुराने के लिए एजेंसियां 5-5 हजार में बेचती थीं सॉफ्टवेयर: यूआईडीएआई आधार इनरोलमेंट के लिए अलग-अलग एजेंसियों का चयन करती हैं। एजेंसियों को टारगेट दिया जाता है। इसे पूरा करने के लिए एजेंसियां कम समय में अधिक से अधिक एनरोलमेंट के लिए कंपनियों आपरेटर पर दबाव बनाती हैं। इसके चलते एजेंसियां अनाधिकृत यूजर से एनरोलमेंट कराने के लिए पांच हजार रुपये में ऑथेटिकेशन बाईपास करने वाला सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने लगीं। यूआईउीएआई को इसकी जानकारी हुई तो लखनऊ में एसटीएफ ने छानबीन शुरू की तो पता चला कि कानपुर के बर्रा में इस तरह का सेंटर चल रहा है। एसटीएफ ने छापा मारकर 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
एनरोलमेंट एजेंसी आभा आधार सेंटर पर शक: सूत्रों का दावा है कि आभा आधार सेंटर को इस काम का ठेका मिला हुआ है। एसटीएफ को आभा आधार सेंटर के मैनेजर की तलाश है, जो पांच हजार रुपये में आथंटिकेशन बाईपास साफ्टवेयर सेंटर्स को उपलब्ध कराता था।
जालसाजों ने हर तोड़ निकाला
यूआईडीएआई ने एनरोलमेंट के लिए ऑपरेटर के फिंगर प्रिंट के साथ रेटिना स्कैन करना जरूरी कर दिया तो हैकरों ने सोर्स कोड ब्रेक कर आइरिस और फिंगर प्रिंट को ही बाईपास कर आधार कार्ड बनाने का काम शुरू कर दिया।
ऐसे करें अपना आधार कार्ड चैक
हर सेंटर पर इस्तेमाल होता है ऑथेंटिकेशन बाईपास सॉफ्टवेयर!
ऑनलाइन पेपर लीक के बाद अब आधार कार्ड के लिए एनरोलमेंट में लचर सिक्योरिटी सिस्टम का मामला सामने आया है। देश में आधार कार्ड का एनरोलमेंट 2011 में शुरू हुआ था। दावा किया जा रहा है कि अब तक 111 करोड़ लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं। इनमें यूपी में 18.40 करोड़ एनरोलमेंट शामिल हैं। सूत्रों का दावा है कि कानपुर में ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य राज्यों में भी इस तरह का खेल चल रहा है। दावा किया जा रहा है कि आधार के लिए एनरोलमेंट करने वाले सभी सेंटर ऑथेंटिकेशन बाईपास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में हर सेंटर की जांच हो तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।
प्रति एनरोलमेंट 20 रुपये मिलते हैं
आधार कार्ड एनरोलमेंट के लिए एजेंसी को यूआईडीएआई 25 से 35 रुपये प्रति एनरोलमेंट भुगतान करती है। इसमें से ऑपरेटर को 20 रुपये मिलते हैं। इसके लिए आधारकार्ड बनवाने वाले से कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता। लेकिन, आधार पंजीकरण केंद्रों पर आवेदकों से 50 से 150 रुपये तक एनरोलमेंट के लिए वसूले जाते हैं।
डीजीपी से 50 हजार के रिवार्ड की सिफारिश
आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने डीजीपी से फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाली टीम को 50 हजार रुपये का पुरस्कार देने की सिफारिश की है। अपर पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह के नेतृत्व में खुलासा करने वाली टीम में इंस्पेक्टर अभिनव सिंह पुंडीर, सब इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय, कांस्टेबल विजय वर्मा, गौरव सिुंह, धर्मेद्र और मिथलेश शामिल हैं। जबकि मुकदमे के विवेचक एसटीएफ के साइबर क्राइम थाने के विवेचक आईपी सिंह हैं।
यूपी समेत कई राज्यों में चल रहा है खेल
आईजी एसटीएफ ने बताया कि लखनऊ, कुशीनगर, देवरिया में फर्जी आधार कार्ड बनाने को लेकर केस दर्ज है। दूसरो राज्यों में भी ऐसा खेल चल रहा है।
दरअसल फर्जी आधार कार्ड के सामने आने का सिलसिला तब शुरू हुआ जब सरकार ने सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए अधिकार कार्ड अनिवार्य कर दिया। इसके बाद कार्ड बनाने वाली संस्था यूएचडीएआई ने आधार कार्ड की जांच शुरू की। इस क्रम में करीब 81 लाख आधार कार्ड के लिए दिए गए कागजात और बायोमेट्रिक डाटा सही नहीं पाए गए।
यूएचडीएआई ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच में संदिग्ध पाए गए आधार कार्डों को ब्लॉक कर दिया। सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि हाल के दिनों में कुछ आतंकियों द्वारा आधार कार्ड बनाने में सफलता हासिल कर लेने की बात सामने आई है। इसके बाद आधार कार्ड की जांच प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
देश में 1.12 अरब आधार कार्ड
इस समय देश में एक अरब 12 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड हैं। यह देश की जनसंख्या का करीब 89 फीसदी है। सरकार आधार कार्ड को सभी मद में अनिवार्य बनाना चाहती है। इस मामले से जुड़ा विवाद फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।